Etawah: सहकारिता चुनाव में कौन पड़ेगा भारी, शिवपाल यादव के सामने बीजेपी कितनी बड़ी चुनौती?
UP Co-operative Election: इटावा की 60 सहकारी समितियों में 48 पर 18 मार्च को चुनाव होना है. इन सहकारी समितियों पर चुने जाने वाले संचालक आगे चलकर सभापति और उपसभापति का चुनाव करेंगे
Etawah News: सपा राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) के पार्टी में आ जाने के बाद अब सपा की ताकत और बढ़ गई है. इटावा (Etawah) में पिछले चुनाव में भी समाजवादी पार्टी का बहुत इंटरेस्ट इस कॉपरेटिव चुनाव में में नहीं रहा है, उस समय भी शिवपाल यादव का एकछत्र कॉपरेटिव पर राज रहता था इस बार शिवपाल सिंह यादव भी हैं और पार्टी भी है. सहकारी समितियों में पिछले कई दशकों से समाजवादी पार्टी के प्रभुत्व को चुनौती देना इस बार भी बीजेपी के लिए आसान नहीं दिख रहा है.
इटावा की 60 सहकारी समितियों में 48 पर 18 मार्च को चुनाव होना है. इन समितियों पर चुने जाने वाले संचालक आगे चलकर सभापति और उपसभापति का चुनाव करेंगे. समितियों से चुने जाने वाले डेलीगेट आगे चलकर जिला सहकारी बैंक के संचालक मंडल के चुनाव में मतदाता बनेंगे. ऐसी स्थिति में यह चुनाव सपा और बीजेपी के लिए काफी महत्वूपर्ण हो गया है. अभी तक जिले की 90 फीसदी से अधिक समितियों पर सपा का ही कब्जा है. जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव के पुत्र आदित्य यादव अंकुर हैं.
बीजेपी के लिए खड़ी हुई बड़ी चुनौती
इटावा में सहकारिता की बात आती है तो यहां सहकारिता और शिवपाल सिंह एक दूसरे के पर्याय माने जाते हैं. सहकारी समितियों में पिछली बार जब सपा और शिवपाल सिंह की राहें अलग अलग थी. शिवपाल सिंह प्रसपा का झंडा थामे थे. इसके बाद भी यहां बीजेपी उनके लिए कोई चुनौती खड़ी नहीं कर सकी.
ज्यादातार समितियों पर शिवपाल समर्थक सपा कार्यकर्ताओं का ही कब्जा रहा. अब सपा और शिवपाल सिंह एक हो गए हैं. ऐसे में जहां सहकारिता में सपा मजबूती होगी वहीं बीजेपी इन चुनावों में फिर अस्तित्व के लिए संघर्ष करती दिखाई देती. शिवपाल सिंह के दबदबे की बात करें तो यह आश्चर्य है कि जिला सहकारी बैंक के संचालक मंडल में बीजेपी का एक भी संचालक नहीं है. यहां तक कि बीजेपी को उतारने के लिए प्रत्याशी तक नहीं मिल सका है.
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