Etawah News: एक तरफ जहां सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए 'खेलेगा इंडिया, तो बढ़ेगा इंडिया' जैसे नारे दे रही है तो वहीं इन नारों के मायने इटावा (Etawah) के सैफई में आकर पूरी तरह बदल जाते हैं. कहने को तो यहां पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, अंतर्राष्ट्रीय स्विमिंग पूल, अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स स्टेडियम के साथ ही सरकार द्वारा संचालित मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स कॉलेज है लेकिन बदहाली का यह आलम है कि स्पोर्ट्स कॉलेज में संचालित 8 खेलों के 350 बच्चों को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं और ना ही सरकार के द्वारा दी जाने वाली खेल किट बच्चों को मिल पा रही है. बिजली और गंदगी से जूझ रहे छोटे-छोटे बच्चे छात्रावास में जैसे-तैसे रहने को मजबूर हैं.


क्या है पूरा मामला?


सैफई का मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स कॉलेज अपनी कई बुनियादी समस्याओं से जूझता नजर आ रहा है. सन 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खेलों को बढ़ावा देने के लिए सैफई में मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स कॉलेज की स्थापना कराई थी. स्पोर्ट्स कॉलेज के छात्रावास में प्रदेशभर से आए 8 खेलों के लगभग 350 बच्चे कई बुनियादी समस्याओं से परेशान हैं. यहां न तो उनके लिए साफ शौचालय हैं और न ही पीने के लिए शुद्ध पानी है. साथ ही सैफई की बिजली कटौती के चलते स्पोर्ट्स कालेज के छात्रावास में भी कई-कई घंटे बिजली गायब रहती है. विभिन्न खेलों की किट भी अभी बच्चों को नहीं दी गई है साथ ही स्कूल की किताबें भी बच्चों तक नहीं पहुंच पाई हैं.


पूर्व प्रधानाचार्य एसके लहरी के निधन के बाद यहां प्रधानाचार्य का पद खाली पड़ा हुआ है. यहां कक्षा 6 से 12 तक के बच्चे पढ़ाई के साथ विभिन्न खेल जिसमें क्रिकेट, हॉकी, कुश्ती, कबड्डी फुटबॉल, एथलेटिक्स, स्विमिंग, जूडो इत्यादि खेलों के गुर सीखने प्रदेशभर से आए हुए हैं. बच्चों ने कहा कि वह अपने घर से यहां खेलों के गुण सीखने और अपने-अपने खेलों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करने का सपना लेकर यहां आए थे लेकिन यहां की बदहाली के चलते उन्हें ऐसा लग रहा है कि मानो घर छोड़कर वह जेल काटने आए हो. बच्चों ने बताया कि बाथरूम और शौचालय में गंदगी तो पड़ी ही है. साथ ही पानी की टंकी कई महीनों से टूटी पड़ी है, ऐसे में उन्हें हॉस्टल के बाहर नहाना पड़ता है. इतनी सारी अव्यवस्थाओं के बीच अपने-अपने खेलों की प्रैक्टिस के लिए भी शाम को निकलना पड़ता है.


खिलाड़ियों को करना पड़ रहा दिक्कतों का सामना
हॉकी खिलाड़ी जमशेद ने बताया कि वह पिछले 4 साल से सैफई स्पोर्ट्स कालेज के छात्रावास में रह रहा है लेकिन पिछले 3 साल से कई बुनियादी समस्याओं का सामना यहां के खिलाड़ियों को करना पड़ रहा है. सबसे बड़ी समस्या हमारे स्पोर्ट्स कॉलेज को सरकार के द्वारा सबसे कम बजट मिलना है, जिस कारण स्पोर्ट्स कॉलेज में कार्यरत कर्मचारियों को उनकी सैलरी भी नहीं मिल पा रही है. कर्मचारी यहां काम पर नहीं आते जिसके चलते कई समस्याओं का सामना हम लोगों को करना पड़ रहा है


वहीं क्रिकेट खिलाड़ी आदित्य ने बताया कि वह लखनऊ से आया है, उसका इसी वर्ष एडमिशन स्पोर्ट्स कॉलेज में हुआ है लेकिन यहां पर क्रिकेट का कोच भी ना होने के चलते ठीक से प्रैक्टिस नहीं हो पा रही है. बिना कोच के प्रैक्टिस करनी पड़ रही है. कहने को तो सैफई में लखनऊ के इकाना स्टेडियम के बराबरी का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम है जोकि सपा सरकार में 260 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ था.


इस स्टेडियम में 40 हजार दर्शकों के बैठने की क्षमता भी है. बाहर से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम की बेहद ही खूबसूरत तस्वीर देखने को मिलती है लेकिन जब स्टेडियम के अंदर जाते हैं तो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में किसी भी तरह की देखभाल नहीं हो पा रही है. बरसात के बाद स्टेडियम की घास काफी बढ़ गई है घास को काटने वाली मशीन खराब पड़ी है. पिच को और रोल करने का रोलर भी खराब पड़ा है ऐसे में जैसे तैसे बिना कोच के बच्चे प्रैक्टिस करने पर मजबूर हैं. फुटबॉल कोच और 


वर्तमान में प्रिंसिपल पद के प्रभारी रामेश्वर सिंह ने बताया कि बजट की कमी के चलते व्यवस्थाएं स्पोर्ट्स कॉलेज सैफई में बिगड़ी हुई है उत्तर प्रदेश में 3 स्पोर्ट्स कॉलेज वर्तमान में संचालित हैं जिसमें गोरखपुर, लखनऊ और सैफई का स्पोर्ट्स कॉलेज है जिसमें सबसे कम बजट सैफई स्पोर्ट्स कॉलेज को दिया जा रहा है जबकि सैफई स्पोर्ट्स कॉलेज में सर्वाधिक 350 बच्चे मौजूद हैं. स्पोर्ट्स कॉलेज के कर्मचारियों और ग्राउंस मैन की तनख्वाह पिछले कई महीनों से नहीं मिली है जिसके चलते कर्मचारियों ने अपना काम करना बंद कर दिया है.


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