Etawah News: इटावा (Etawah) के सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी (Saifai Medical University) में संदिग्‍ध परिस्थितियों में हुई गोरखपुर के एमबीबीएस छात्र हिमांशु गुप्‍ता का गोरखपुर के राजघाट पर सोमवार को अंतिम संस्‍कार कर दिया गया. दाह संस्‍कार के बाद मृत हिमांशु की मां डॉ. सरिता गुप्‍ता और परिजन भी बेटे की मौत को सुसाइड मानने को तैयार नहीं है. उनका आरोप है कि बेटे को मारा गया है. वो सुसाइड नहीं कर सकता है. उन्‍होंने कहा कि हत्‍या को आत्‍महत्‍या का रूप दिया गया है. कुछ अनसुलझे सवालों का जवाब कोई नहीं दे पा रहा है.


मां ने बताई पूरी घटना
इटावा के सैफई मेडिकल कालेज में गोरखपुर के एमबीबीएस प्रथम वर्ष के 19 वर्षीय मेडिकल स्‍टूडेंट हिमांशु गुप्‍ता की मां डा. सरिता गुप्‍ता ने बताया कि 20 अगस्‍त की रात 8 बजकर 27 मिनट पर इटावा के सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के वार्डन अजय कुमार द्वारा वाट्सएप काल किया गया. उन्‍होंने बताया कि आपके बच्‍चे ने कुछ कर लिया है. उसे ट्रामा सेंटर में एडमिट किया गया है. आप लोग तुरंत चले आइए. उन्‍होंने कहा कि आप अच्‍छे से अच्‍छा इलाज कराइए. हम लोग आ रहे हैं. इसके 10 से 15 मिनट बाद उनका दोबारा फोन आया कि आपके बच्‍चे ने फांसी लगा ली. आपके बच्‍चे की मौत हो गई है. उन्‍होंने कहा कि आप लोग फौरन चले आइए. उन्‍होंने बताया कि वे लोग रात 11 बजे गोरखपुर से निकली. उन्‍होंने बताया कि सुबह 5 से 5.30 बजे पहुंचे.


'मेरा बच्चा सुसाइड नहीं कर सकता'
मां सरिता ने आगे कहा कि उन्‍हें पहले हॉस्‍टल ले जाया गया. वहां पर बहुत कहने पर पुलिस ने रूम खोला. इससे पहले बच्‍चे का मोबाइल हटा दिया गया था. कहा गया कि उसका मोबाइल फारेंसिक टीम वाले ले गए हैं. लेकिन उसका मोबाइल पुलिसवाले के अंडर में थाने पर जमा कर दिया गया था. कमरे पर मोटी-मोटी तीन चादर और तौलियां से पंखा को सजाया गया है. पंखा से बच्‍चा लटकेगा, तो कोई स्‍टूल या मेज रखेगा. सब चीज व्‍यवस्थित रही है. पंखा भी टेढ़ा नहीं हुआ. उनका बच्‍चा सुसाइड नहीं कर सकता है. उसने सुबह ही उनसे और दादी से वी‍डियो काल से अच्‍छे से बात की. जिस बच्‍चे को इंजेक्‍शन लगवाने के लिए चार लोगों को पकड़ना पड़ता था. वो अपनी बॉडी के साथ इतना बड़ा निर्णय नहीं ले सकता है. उसने फरवरी 2022 में वहां एडमिशन लिया था.


'हिमांशु को किया जा रहा था मेंटली टार्चर'
मां ने आगे बताया कि दो-तीन माह बीतने पर उसके कालेज के प्रोफेसर द्वारा बार-बार ये कहा जाता रहा है कि तुम कैसे एमबीबीएम में आ गए हो. तुम इसके लायक नहीं हो. उसे मेंटली टार्चर किया जा रहा था. रक्षाबंधन पर वो घर आया था. वो काफी खुश र. 15 अगस्‍त की रात में वो बस से गया. 16 की सुबह उसने क्‍लास की. वो पढ़ने में फर्स्‍ट क्‍लास स्‍टूडेंट रहा है. उन्‍हें रैगिंग का भी शक है. लेकिन इसके बारे में उन्‍हें नहीं पता है. हिमांशु की मां सरिता की मानें तो उन्‍हें पता चला है कि वहां पर सीटों का खेल चलता है. जो कमजोर बच्‍चे हैं, उन्‍हें सुसाइड के लिए मजबूर कर दिया जाता है. नहीं तो घटना करके सुसाइड का रूप दे दिया जाता है. 


उसके साथ के स्‍टूडेंट ने बताया कि शाम 7 बजे दरवाजा खटखटाया गया. लेकिन दरवाजा नहीं खुलने पर नीचे से वार्डन और सिक्‍योरिटी को बुलाया गया. तब दरवाजा खोला गया. बड़ी मुश्किल से बच्‍चे की लाश को उन लोगों ने दिखाया. उसके सीने होठ के ऊपर चोट के निशान थे. उसकी नाभी से ब्‍लड निकला हुआ था. उन्‍होंने कहा कि मेरे बच्‍चे को मारा गया है. उसे फांसी का नाम दिया जा रहा है. उसे सुसाइड का नाम दिया जा रहा है.


इसके साथ ही यूनिवर्सिटी प्रशासन का सीसीटीवी कैमरा भी उस समय बंद रहा है. फाटक खोलने का वीडियो बनाया गया है. लेकिन फाटक के अंदर कमरे के अंदर का वीडियो क्‍यों नहीं बनाया गया. उनका बच्‍चा कैसी अवस्‍था में था, इसकी एक फोटो होनी चाहिए थी. आपने बगैर फोटो-वीडियो के उसकी लाश को कैसे उतार लिया. हिमांशु के छोटे भाई दिव्‍यांशु और जीजा प्रवेश कुमार और बड़ी बहन दीक्षा गुप्‍ता को भी पूरा यकीन है कि उसकी हत्‍या की गई है. वो सुसाइड जैसे कदम नहीं उठा सकता है.


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