UP News: यूपी के इटावा जनपद में सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने 33 सरकारी क्रय केंद्र बनाए गए हैं. जहां पर धान का समर्थन मूल्य 2060 रुपये प्रति कुंतल, बाजरा का समर्थन मूल्य 2350 रुपये प्रति कुंतल और मक्का का समर्थन मूल्य 1962 रुपये प्रति कुंतल के मूल्य पर खरीद हो रही है. पिछले वर्ष लगभग 40 हजार मीट्रिक टन जनपद से धान की खरीद सरकारी केंद्रों पर की गई थी और इस वर्ष पचास हजार मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन एक नवंबर से अभी तक एक कुंटल भी धान नहीं खरीदा जा सका है, जबकि लगातार सरकार रजिस्ट्रेशन करवा कर ही पॉप मशीन से खरीदारी की बात कर रही है. केवल सरकारी केंद्रों पर बाजरा 70 कुंटल ही खरीदा गया है. मक्का भी नहीं खरीदा जा सका है.


दूसरी ओर प्राइवेट दुकानों पर किसानों ने बड़ी तादाद में धान की बिक्री कर रहे हैं. बड़े बड़े ट्रैक्टर की ट्रॉलियों में धान के बोरे भरकर आ रहे हैं और अच्छी क्वालिटी के धान की बिक्री की जा रही है. जब इस संबंध में प्राइवेट दुकानों पर बिक्री कर रहे किसानों से पूछा गया तो बुजुर्ग किसान रोहन सिंह ने बताया कि एक ट्रॉली धान लेकर के आए हैं. मंडी में प्राइवेट दुकान पर बिक्री की है. सरकारी केंद्रों पर धान नहीं खरीद रहे हैं किसानों से धान नहीं लेते हैं. 


Saharanpur Crime: बातों-बातों में मां की गोद से दुधमुंहे बच्चे को छीनकर भागा बदमाश, घटना CCTV में कैद


क्या कहा किसान ने?
किसान वीरेंद्र सिंह ने बताया कि धान भरकर लाए हैं. मजबूरी में प्राइवेट दुकानों पर धान बेचा है. सहकारी केंद्रों पर मानक नहीं आता है या तो कोई दलाल बीच में हो उनको फायदा रुपयों का करवाया जाए तो फिर धान की खरीद कर लेते हैं. वैसे सामान्य तौर पर नहीं खरीदते हैं, जबकि हमारा धान यहां प्राइवेट दुकानों पर 1500 रुपये प्रति कुंतल के हिसाब से बिक्री हुई है, जबकि सरकारी केंद्र पर 2060 रुपये प्रति कुंतल का रेट है. कई बार कोशिश कर चुके हैं. पिछले वर्ष तो 2 दिन यहां पर पड़े रहे, लेकिन इसके बावजूद भी धान नहीं खरीदा था और जैसे ही 200 रुपये रिश्वत के दिए तो मानक भी सही हो गया. इस समय हमारे पास 15 बीघा में हमने धान की पैदावार की थी. एक ट्रॉली आज यहां प्राइवेट दुकान पर बेची है.


खाद्य विपणन अधिकारी लालमणि पांडे ने बताया कि सरकारी केंद्र पर एक निश्चित मानक का धान खरीदा जाता है. इटावा में 80% धान बासमती की वैरायटी का उत्पादन होता है जो प्राइवेट दुकानों पर अधिक कीमत में बिकता है इसलिए यह लोग सरकारी केंद्र पर बेचने नहीं आते हैं. जबकि अभी 210 किसानों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा लिया है. अब वह धान बेचने आएंगे. उनका धान खरीदा जाएगा. अभी एक नवंबर से खरीद शुरू हुई है, इसलिए कोई भी किसान ने धान नहीं बेचा है. हमारे यहां पहले किसानों को रजिस्ट्रेशन करवाना होता है, उसके बाद ई पॉप मशीन से बिक्री होती है. इसलिए दलालों का कोई भी स्थान नहीं है. किसान के खाते में सीधे पैसा पहुंचता है.