Etawah safari प्रशासन ने ली राहत की सांस, 72 दिन से काले हिरणों को मार रहा तेंदुआ पकड़ा गया, पिंजरे में रखी गई थी बकरी
Uttar Pradesh के Etawah safari में काले हिरणों की मौत का कारण बना तेंदुआ 72 दिन बाद पकड़ लिया गया है. इससे सफारी प्रशासन को राहत मिली है.
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के इटावा सफारी (Etawah safari) में 72 दिन से वन्य जीवों खासतौर पर बेशकीमती काले हिरणों (Black Deer) के लिए मौत का कारण बना तेंदुआ (Leopard) सफारी प्रशासन की पकड़ में आ गया. इटावा सफारी पार्क में मंगलवार की रात 1 बजकर 13 मिनट पर हिंसक वन्य जीव तेंदुए को पकड़ने के लिए लगाए गए पिंजड़े के पास देखा गया. पिंजड़े में मौजूद जिंदा चारा बकरी को बंधा देख तेंदुआ पिंजड़े में घुसा था. तेंदुए के पिंजड़े में घुसते ही उसे पकड़ लिया गया. इसके साथ ही सफारी के वन्य जीवों के ऊपर पिछले 72 दिनों से मंडरा रहा खतरा खत्म होता दिखाई दे रहा है.
10 नाईट विजन कैमरे लगाए गए थे
यह हिंसक तेंदुआ बफर जोन यानी सफारी के बाहरी क्षेत्र में घूम रहा था जिसको पकड़ने के लिए सफारी में 10 नाईट विजन कैमरे उसकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए लगाए गए थे. वहीं 5 बड़े पिंजड़े जिसमें बकरी को बांधकर रखा जाता था भी लगाए गए थे. आखिर कल रात पिंजड़े में चारा के रूप में बंधी बकरी को देखकर वह उसके अंदर चला गया और कैद हो गया. सीसीटीवी में यह घटना एक बजकर 13 मिनट पर कैद हो गई. पकड़े गए नर तेंदुआ की उम्र चार से पांच साल के बीच है.
मेडिकल जांच में स्वस्थ पाया गया
पिछले दो माह से अधिक समय से तेंदुए को पकड़ने के लिए रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा था. तेंदुआ सफारी क्षेत्र के बाहरी किनारे पर लगाए गए पिंजरे में फंस गया. इसे पशु चिकित्सक और बायोलॉजिस्ट की देखरेख में ट्रांसपोर्टेशन केज में स्थानांतरित किया जा रहा है. पशु चिकित्सक द्वारा तेंदुए का चिकित्सकीय परीक्षण किया गया. तेंदुआ शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ है और किसी भी प्रकार के चोट के निशान नहीं हैं. इसे शासन से निर्देश पाते ही उपयुक्त स्थान पर ले जाने की कार्रवाई की जाएगी.
बना था काले हिरणों की मौत का कारण
सफारी में बनी एंटीलोप सफारी में बेशकीमती काले हिरणों की मौत का कारण बने जंगली तेंदुए से सफारी प्रशासन को राहत मिलती दिखाई दे रही है. 26 अप्रैल के बाद से सफारी में जंगल के रास्ते घुसे तेंदुए की हलचल का कोई भी प्रमाण या पद चिन्ह सफारी प्रशासन को नहीं मिले हैं. वहीं 8 मई को सफारी की बाउंड्री के पास बने नाले की दीवार पर तेंदुए के पग चिन्ह दिखाई दिए, जिससे यह माना जा रहा है कि तेंदुआ नाले की दीवार फांदकर सफारी के बाहर जा चुका है.
रूक नहीं रहा था मौत का सिलसिला
पिछले कुछ माह से सफारी में अचानक काले हिरणों की मौत के मामले सामने आने के बाद पहले तो सफारी प्रशासन द्वारा बेशकीमती काले हिरण की मौत को सामान्य मौत और आपस में लड़ने के कारण हुई मौत बताया गया लेकिन जब बेशकीमती काले हिरणों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा था ऐसे में एंटीलोप सफारी और बफर जोन में हिरणों के अवशेष पाए गए.
भगाने के बहुत प्रयास किए गए
तब जाकर सफारी प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए एंटीलोप सफारी के आसपास नाईट विजन कैमरे लगाए जिसमें 22 अप्रैल को सफारी में घुसे तेंदुए की तस्वीर कैमरे में नजर आई. इसके बाद सफारी प्रशासन ने तेंदुए को पकड़ने या 350 हेक्टर में बनी सफारी के बाहर तेंदुए को निकालने के लिए टीमें बनाकर कई प्रयास किए. उसे बाहर भगाने के लिए टीमें बनाकर ढोल नगाड़े बजाए गए, हिरण सफारी के आसपास पिंजड़े रखे गए लेकिन तेंदुआ सफारी प्रशासन की पकड़ में नहीं आया था.
सफारी के डिप्टी डायरेक्टर ने क्या बताया
आज जब तेंदुए को पकड़ने में सफलता मिली तब एबीपी गंगा से बात करते हुए सफारी के डिप्टी डायरेक्टर अरुण कुमार सिंह ने बताया कि, 26 अप्रैल को तेंदुए के घुसने की जानकारी हमलोगों को मिल गई थी. वह काले हिरणों का शिकार करने वाली मादा तेंदुआ थी जो कि सफारी से निकल चुकी थी. यह नर तेंदुआ है जिस तरह से यह नर तेंदुआ सफारी में घुसा है उसी तरह से वन्यजीवों को नुकसान पहुंचाने वाली मादा तेंदुआ सफारी की बाउंड्री फांदकर जंगल में जा चुकी होगी. यह वही नर तेंदुआ है जो हमारे नाइट विजन कैमरे में आ रहा था जो कि अब पकड़ में आ चुका है और शिकार करने वाली मादा तेंदुआ सफारी से जा चुकी है.
बाउंड्री को ऊंचा कराने की आवश्यकता-डिप्टी डायरेक्टर
सफारी के डिप्टी डायरेक्टर अरुण कुमार सिंह ने आगे बताया कि, ऐसे में अब सफारी के अंदर फिलहाल वन्यजीवों के लिए कोई खतरा नहीं है. वहीं 350 हेक्टेयर में फैली सफारी जो कि जंगल के बीचो-बीच बनी है. बजट के अभाव में जंगल से लगा हुआ 7 किलोमीटर का वह एरिया जहां से अक्सर तेंदुए सफारी में घुस जाते हैं उस बाउंड्री को ऊंचा कराने की आवश्यकता है. सफारी को सुरक्षित करने के लिए अभी दो से तीन करोड़ के बजट की आवश्यकता है जिसकी डिमांड शासन को भेज दी गई है.
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