डॉक्टर न हो तब भी मरीज को मिल सकेगा इलाज, IIT कानपुर ने एसजीपीजीआई के साथ मिलाया हाथ
कोरोना के दौरान टेलीमेडिसिन की मदद से कई गंभीर रोगियों को भी नया जीवनदान मिला. अब आईआईटी कानपुर ने एसजीपीजीआई के साथ हाथ मिलाया है.
कानपुर: अब डॉक्टर्स न भी हों तो भी मरीज को इलाज मिल सके इस दिशा में काम करने के लिए आईआईटी कानपुर ने एसजीपीजीआई के साथ हाथ मिलाया है. स्मार्ट हेल्थकेयर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संस्थान टेलीमेडिसिन और हेल्थकेयर रोबोटिक्स में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना करेंगे. एसजीपीजीआई निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान और आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर के बीच ऑनलाइन एमओयू हस्ताक्षर हुए.
कोरोना के दौरान टेलीमेडिसिन की मदद से कई गंभीर रोगियों को भी नया जीवनदान मिला. आईआईटी कानपुर एसजीपीजीआई मिलकर इसे और मजबूत करने की कोशिश करेंगे. ग्रामीण अंचलों तक इस तकनीक का लाभ मिल सके इसकी व्यवस्था की जाएगी. आईआईटी कानपुर आईओटी तकनीक की मदद से मरीजों और चिकित्सा विशेषज्ञों का डाटा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाएंगे. मरीज जिस भी भाषा में बोले उसी भाषा में उनको उनकी बीमारी का इलाज मिल सके इसकी व्यवस्था भी आईआईटी कानपुर करेगा. इसके अलावा एआई-आधारित डायग्नोस्टिक्स से लैस अनुकूलित मोबाइल वैन और कियोस्क डिजाइन करेगा.
मेडिकल के साथ तकनीकी का इस्तेमाल स्मार्ट हेल्थ केयर को बढ़ावा देगा
ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल स्वास्थ्य वैन का एक एकीकृत नेटवर्क और शहरी इलाकों में स्मार्ट कियोस्क आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता का पता लगाने के लिए अंतिम छोर तक की कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा. आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर प्रो. अभय करंदीकर ने कहा कि मेडिकल के साथ तकनीकी का इस्तेमाल स्मार्ट हेल्थ केयर को बढ़ावा देगा. आने वाले समय में इंजीनियरिंग और मेडिकल क्षेत्रों के बीच के बंधन को मजबूत करने की जरूरत है.
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