Agra: महंगाई के इस दौर में अगर आपको बताया जाए कि किसी को 15 रुपये मासिक पगार मिल रही है, ये सुनकर आप भी एक बार अचरज से भर उठेंगे. उससे भी ज्यादा हैरानी आपको ये जानकर होगी कि ये 15 रुपये मासिक मिलने वाली पगार भी कई साल से बंद है. ये हाल ताजमहल (Taj Mahal)के शाही मस्जिद के इमाम सैयद सादिक अली (Syed Sadiq Ali) का है. वो व्यथित और परेशान हैं. क्योंकि कई सालों से उन्हें 15 रुपये मासिक भी नसीब नहीं हुए हैं. 


एबीपी गंगा से बातचीत में सैयद सादिक अली का कहना है कि ताजमहल बनने के साथ ही शाही मस्जिद की नींव पड़ी थी. ऐसे में उनकी 8वीं पीढ़ी ताजमहल में नमाज पढ़ा रही है.लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि जो भी पगार (15 रुपये) मिलती है. वो भी न मिले. लेकिन पिछले कुछ सालों से 15 रुपये मिलने वाली पगार भी उन्हें नसीब नहीं हो रही है.


ASI की बेरुखी से काफी आहत हैं सैयद सादिक
ताजमहल के बाहर मौजूद सैयद सादिक अली अपने बेटे  बुरहान अली को अगले इमाम की जिम्मेदारी सौंपना चाहते हैं. लेकिन वो ASI की बेरुखी से काफी आहत हैं. ये हाल तब है जब ताजमहल दुनिया भर के तमाम स्मारकों में कमाई के मामले में टॉप पांच की हैसियत रखता है. 


बादशाह के ज़माने में वेतन के तौर पर मिलती थीं 15 अशर्फियां 
इमाम सैय्यद सादिक अली और इनके बेटे बुरहान अली के मुताबिक वो पत्राचार और खुद ऑफिस के चक्कर काटकर थक चुके हैं. लेकिन उनकी 15 रुपये मासिक पगार नहीं दी जा रही है. बताया जाता है कि पहले बादशाह के ज़माने में वेतन के तौर पर 15 अशर्फियां मिलती थीं. अंग्रेजों ने 15 चांदी के सिक्के और आजाद भारत में 15 रुपये प्रति माह वेतन दिया जाने लगा.


इसको लेकर ASI के आगरा सर्किल के पुरातत्वविद आरके पटेल (RK Patel) का कहना है कि कई सालों के बकाया वेतन की बात निराधार है. इमाम का 31 मार्च, 2021 तक वेतन जारी किया जा चुका है. इनकी नियुक्ति सरकार से नहीं पारंपरिक तरीके से चली आ रही है. पहले नकद भुगतान की व्यवस्था थी, लेकिन अब अकाउंट में वेतन जारी होता है. लेकिन अब  उनकी समस्या का निदान कर दिया जाएगा.


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