प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। देश में कोरोना वायरस के खतरे को नजरअंदाज करते हुए तमाम लोग जहां अपने घर-परिवार वालों से मिलने को बेकरार नजर आ रहे हैं और सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल ही तय कर रहे हैं तो वहीं राजस्थान और गुजरात के पूर्व गवर्नर जस्टिस अंशुमान सिंह ने इस भीड़ को आइना दिखाते हुए अनूठी मिसाल पेश की है।


तमाम लोग लॉकडाउन लागू होने के बाद अपनों से मिलने की जिद में बड़ी मुसीबत का सबब बनते जा रहे हैं तो वहीं जस्टिस अंशुमान सिंह ने अमेरिका से बीमार मां को देखने आए अपने बेटे को एयरपोर्ट से सिर्फ इसलिए वापस भेज दिया था, ताकि उसकी वजह से देश के लोगों को कोई खतरा न हो सके।


अंशुमान सिंह ने जिस वक्त बेटे को एयरपोर्ट से वापस भेजा था, उस वक्त न तो लॉकडाउन था और न ही इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर रोक थी। जस्टिस अंशुमान सिंह का फैसला इसलिए भी काबिले तारीफ है क्योंकि उनके बेटे में कोरोना के लक्षण थे। अमेरिका लौटने पर बेटे की रिपोर्ट तो नेगेटिव आई, लेकिन वहां उसे क्वारंटाइन कर इलाज किया गया।



तकरीबन 80 साल के जस्टिस अंशुमान सिंह जयपुर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रहे हैं। वह राजस्थान और गुजरात के गवर्नर भी रह चुके हैं। रिटायरमेंट के बाद वह प्रयागराज में परिवार के साथ रहते हैं। उनकी पत्नी चंद्रावती देवी पिछले कई महीनों से गंभीर रूप से बीमार हैं और बिस्तर पर भी हिल-डुल नहीं पाती हैं।


जस्टिस अंशुमान सिंह के बड़े बेटे अरुण प्रताप सिंह अमेरिका के कोइराला स्टेट के रोली शहर में अपना बिजनेस करते हैं। बीमार मां को देखने के लिए वह 16 मार्च को अमेरिका से भारत आए। चेन्नई एयरपोर्ट पर उतरते ही उन्हें सर्दी-जुकाम और बुखार की शिकायत हुई। उन्होंने पिता से बात की तो उन्होंने प्रयागराज की फ्लाइट छोड़कर सीधा अमेरिका वापस जाने को कहा।


जस्टिस अंशुमान सिंह को लगा कि बेटा कोरोना से संक्रमित हो सकता है और प्रयागराज आने पर वह परिवार के साथ ही देश के तमाम लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है। उन्होंने बेटे को चेन्नई में भी एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी। बेटे अरुण ने वीडियो कॉलिंग से बीमार मां को देखकर उन्हें प्रणाम किया और अमेरिका वापस चले गए थे।



जस्टिस अंशुमान सिंह के मुताबिक देश में कोरोना की महामारी रोकने को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने सोशल डिस्टेंसिंग बढ़ाने का जो फैसला किया है, वह बिल्कुल सही है और सभी को इसका गंभीरता से पालन करना चाहिए।