Rajaram Pal May join SP: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है. पार्टी के राष्ट्रीय सचिव, पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता और पूर्व सांसद राजाराम पाल ने पार्टी छोड़ने के संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा कि जिसको जाना है उसे कोई रोक नहीं सकता और अखिलेश यादव से मेरे अच्छे संबंध हैं, बीजेपी से भी और बसपा से भी. राजाराम पाल का ये बयान यूपी की सियासत में बड़ी हलचल पैदा करने वाला है. पिछले कुछ दिनों से वो लगातार पार्टी से दूरियां बनाते हुए नज़र आ रहें हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए थे. अब खबर है कि वो कल सपा का दामन थाम सकते हैं.
कई विवाद भी जुड़े हैं राजाराम के साथ
बसपा से उन्होंने राजनीति शुरू की थी. नोटकांड में राजाराम फंसे थे. 1996 में बीएसपी में शामिल हुए और विधायक चुने गए. साधारण परिवार में जन्मे और अपने दम पर राजनीति में जगह बनाई. वे मूल रूप से कानपुर के बर्रा-2 के रहने वाले हैं. अकबरपुर से 2004 में पहली बार सांसद बने, लेकिन 2005 में स्टिंग ऑपरेशन में लोकसभा में पैसे लेकर प्रश्न पूछने के मामले में बुरी तरह फंस गए थे.
पिछड़ा वर्ग पर सपा की नजर
इसके बाद बीएसपी का दमन छोड़ कांगेस के साथ शुरुआत की. 2009 में कांग्रेस के टिकट पर अकबरपुर से फिर सांसद बने और 2014 में हार गए. कानपुर से ही सपा का सबसे बड़ा पिछड़ा वर्ग सम्मेलन का आगाज किया और इस सम्मेलन को सफल बनाया. सपा इस बार पिछड़ों के वोटों में पैठ बनाने में लगी हुई है, जिसमे प्रमुख भूमिका में राजाराम पाल दिख सकते हैं.
अगर सपा में राजाराम पाल आते हैं, तो कह सकते हैं ,एक तीर से दो निशाने, कांग्रेस को तो झटका लगेगा ही लेकिन बीजेपी का स्वाद भी कड़वा हो सकता है.
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