Bijnor News : यूपी के चुनावी माहौल (UP Election 2022) में इन दिनों हिन्दू मुस्लिम (HIndu-Muslim) का मुद्दा छाया हुआ है. लेकिन इस देश की गंगा जमुनी तहजीब की तासीर को बदलना आसान नहीं है. बिजनौर (Bijnor) में मुस्लिम समुदाय के मोहम्मद आरिज कई सालों से महाशिवरात्रि पर्व (Mahashivratri 2022) पर शिवभक्तों के लिए अपने हाथों से कावड़ (Kanwad) बनाकर हिन्दू मुस्लिम भाईचारे की एकता की मिसाल पेश कर रहे हैं.
हिन्दुओं के लिए कांवड़ बनाते हैं मुस्लिम कारीगर
इस साल 1 मार्च को शिवभक्तों का सबसे बड़े त्योहार महाशिवरात्रि मनाया जाएगा. ऐसे में कांवड़ बनाने वाले मुस्लिम कारीगर मोहम्मद आरिज पिछले कई सालों से सांप्रदायिक सौहार्द की तस्वीर पेश कर रहे हैं. आरिज बिजनौर के रहने वाले हैं उनका पूरा परिवार इस काम में लगा हुआ है. उनकी कई पीढ़ियां लगातार इसी काम को करती हुई आ रही हैं. कावड़ शुरू होने से पहले ही उनका परिवार हापुड़ से कच्चा माल लाने लगता है. जिसके बाद वो बांस की लकड़ी को सुखाते हैं ताकि कांवड़ का वजन हल्क रह सके और शिवभक्तों को गंगाजल लेकर आते समय किसी तरह की परेशानी न उठानी पड़े. वैसे तो एक कांवड़ में डेढ़ से दो किलो का ही वजन होता है.
गंगा-जमुनी तहजीब की प्यारी तस्वीर
मोहम्मद आरिज की मानें तो हर साल वो कांवड़ के त्योहार का हर साल बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं. जिसमें उनका काम भी बहुत अच्छा चलता है. उनका कहना है कि कावड़ को बनाने के लिए रोजाना दस से 12 कारीगर लगते हैं. दिन भर में 15-20 कावड़ बन जाते हैं. एक कावड़ को बनाने में कारीगर को 150-200 रुपए की लागत आती है जिसे कारीगर 350 से 400 रुपए में आसानी से बेच देते हैं. वो एक सीजन में 500 से ज़्यादा कावड़ बेच देते हैं. बिजनौर के नजीबाबाद और उत्तराखंड के हरिद्वार में मुस्लिम कारीगरों के हाथों से बनी कावड़ सप्लाई की जाती है.
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