प्रयागराज: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अपने पुरखों के शहर प्रयागराज को पार्टी के पूर्वी उत्तर प्रदेश के चुनाव अभियान का कमांड सेंटर बनाए जाने का फैसला किया है. प्रियंका गांधी के निर्देश पर पार्टी के रणनीतिकारों ने कमांड सेंटर के लिए प्रयागराज में जगह की तलाश भी शुरू कर दी है. प्रियंका के इस कदम के पीछे कई सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं. माना यह जा रहा है कि दादी इंदिरा की जन्मस्थली और दूसरे पुरखों की कर्मस्थली के ज़रिये वह सियासी संदेश देकर वोटरों को साधने की जुगत में हैं. वैसे इन सारी कवायदों के बावजूद पार्टी के लिए कोई कमाल कर पाना प्रियंका के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने जिस प्रयागराज की सरजमीं पर पिछले हफ्ते मौनी अमावस्या के मौके पर संगम में आस्था की डुबकी लगाकर पार्टी के चुनावी अभियान का अनौपचारिक तौर पर श्री गणेश किया था, उसी शहर को अब वह यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का बड़ा सेंटर बनाने की तैयारी में हैं. सूत्रों के मुताबिक़ प्रियंका ने अपने पुरखों के शहर प्रयागराज को पूर्वी उत्तर प्रदेश के चुनाव अभियान का सेंटर बनाने का फैसला किया है. इसके लिए शहर में ऐसी जगह की तलाश की जा रही है, जिसमे दफ्तर के साथ ही प्रियंका के अस्थाई आशियाने यानी रुकने की भी जगह हो. फिलहाल शहर के जार्ज टाउन इलाके में तीन जगहों को चिन्हित भी किया जा चुका है. पिछले हफ्ते प्रयागराज आने पर प्रियंका को इनमे से कुछ जगहें दिखा भी दी गई हैं. प्रियंका के करीबी संदीप सिंह व कुछ अन्य लोग पहले ही कुछ संभावित जगहों को देख चुके हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही किसी एक जगह को फाइनल कर चैत्र नवरात्रि पर औपचारिक तौर पर इसका शुभारंभ कर दिया जाएगा.
प्रियंका गांधी के फैसले के पीछे कई सियासी मायने
प्रयागराज को ही पार्टी के चुनावी अभियान का कमांड सेंटर बनाए जाने के प्रियंका गांधी के फैसले के पीछे कई सियासी मायने हैं. दरअसल, प्रयागराज कभी देश में राजनीति का केंद्र बिंदु हुआ करता था. शैक्षिक-राजनैतिक और धार्मिक नज़रिये से भी इस शहर का ख़ास महत्व है. प्रियंका के पूर्वजों की कर्मस्थली भी यही शहर रहा है. उनकी दादी इंदिरा गांधी और परनाना पंडित नेहरू का जन्म इसी शहर में हुआ था. नेहरू-गांधी परिवार का पैतृक आवास आनंद भवन और स्वराज भवन आज भी प्रियंका के परिवार के कब्ज़े में है. कांग्रेस पार्टी साल 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव का श्रीगणेश भी यहीं से कर चुकी है. प्रयागराज वैसे भी पूर्वांचल और बुंदेलखंड को जोड़ता है. इसे सेंटर बनाने से सिर्फ इन दो अहम हिस्सों ही नहीं बल्कि पूरे यूपी में बड़ा सियासी संदेश दिया जा सकता है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बाबा अभय अवस्थी के मुताबिक़ प्रियंका प्रयागराज को सेंटर बनाकर यहां से यह संदेश देने की तैयारी में हैं कि वह नेहरू और इंदिरा के संघर्षों और समर्पण की परंपरा को आगे बढ़ाना चाहती हैं.
प्रयागराज में प्रियंका के कमांड सेंटर के लिए जो जगहें संभावित तौर पर रखी गईं हैं, उनमे उनकी दादी इंदिरा गांधी के सलाहकार रहे जेएन मिश्र का जार्ज टाउन इलाके का मकान भी शामिल है. तीन मंज़िला इस मकान में नीचे दफ्तर, पहली मंज़िल पर वार रूम और मीटिंग रूम और सबसे ऊपरी हिस्से में प्रियंका के अस्थाई आशियाने को बनाया जा सकता है. वैसे प्रियंका गांधी खुद नेहरू गांधी परिवार के पैतृक आवास स्वराज भवन को भी इस काम में ले सकती थीं, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं की सहजता और चुनाव में परिवारवाद के आरोपों से बचने के लिए उन्होंने किसी नई बिल्डिंग में यह काम शुरू करने की रणनीति बनाई है.
प्रयागराज के कार्यकर्ता खासे उत्साहित हैं
प्रियंका के इस फैसले से प्रयागराज के कार्यकर्ता खासे उत्साहित हैं. पार्टी नेता हसीब अहमद का कहना है कि प्रियंका अपने पुरखों की सरजमीं से यूपी में कांग्रेस का 32 साल का सूखा ख़त्म करने की तैयारी में हैं. दूसरी तरफ सियासत के जानकार यह तो मानते हैं कि प्रयागराज को चुनावी सेंटर बनाकर प्रियंका एक तीर से कई निशाने साध सकती हैं, लेकिन इस कदम के बावजूद वह यूपी की सत्ता में कांग्रेस की वापसी करा पाएंगी, यह सभी को दूर की कौड़ी लगता है. पत्रकार मनोज कुमार तिवारी के मुताबिक़ कांग्रेस की सीटों और वोट प्रतिशत में सम्मानजनक बढ़ोत्तरी भी प्रियंका के सियासी कद को बढ़ाने वाली होगी. उनके मुताबिक़ प्रियंका अगर खुद प्रयागराज की किसी सीट से चुनाव लड़ें तो आस पास की कई सीटों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है.
यूपी में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रियंका गांधी फिर से सक्रिय हुई हैं. वेस्टर्न यूपी में वह ताबड़तोड़ दौरे कर रही हैं. कयास यह लगाया जा रहा है कि चैत्र नवरात्रि में प्रयागराज में कमांड सेंटर बनाए जाने के बाद प्रियंका यहीं कैम्प कर पूर्वांचल और बुंदेलखंड पर फोकस कर सकती हैं. वैसे यूपी में कांग्रेस लगातार धरातल में जा रही है, ऐसे में प्रियंका के यह दांव पेंच पार्टी के लिए किस तरह संजीवनी का काम करेंगे और मझधार में फंसी कांग्रेस की नैया को कैसे पार लगाएंगे, इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.
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