Explained: बिजली संकट से अछूता नहीं यूपी, जानें देश के सबसे बड़े सूबे के क्या हैं हालात?
देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में कोयले से बिजली संकट गहराया है. कई पावर प्लांट में सिर्फ एक दिन से भी कम का कोयला होने का दावा है. कोयला संकट पर सीएम ने पीएम मोदी को चिट्ठी भी लिखी है.
नई दिल्ली: कोयले की सप्लाई कम होने से बिजली संकट को केंद्र सरकार ने खारिज किया है, लेकिन कई राज्यों में बत्ती गुल हो रही है . देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में भी हालात कुछ अलग नहीं हैं. आशंका ये जताई जा रही है कि दीवाली से बिल्कुल पहले यूपी समेत देश के करोड़ों लोगों की दीवाली काली होने का खतरा मंडरा रहा है.
उत्तर प्रदेश के हालात को इस बात से समझा जा सकता है कि कोयले की आपूर्ति के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ को पीएम को चिट्ठी भी लिखनी पड़ी है. मुख्यमंत्री ने कोयले की आपूर्ति सामान्य कराने और प्रदेश को अतिरिक्त बिजली उपलब्ध कराने का आग्रह किया है.
ग्रामीण इलाकों में चार से पांच घंटों की बिजली कटौती शुरू
यूपी के ग्रामीण इलाकों में चार से पांच घंटों की बिजली कटौती शुरू हो चुकी है, जबकि शहरी इलाकों में अघोषित बिजली कटौती हो रही है. वजह है यूपी में बिजली की डिमांड और सप्लाई में बड़ा फर्क. हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि रात में बिजली नहीं कटेगी. उन्होंने आदेश दिया कि शाम 6 बजे से सुबह 7 बजे तक बिजली कटौती नहीं होगी. यह आदेश ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों के लिए दिया गया है.
जरूरत से 2 हज़ार मेगावाट कम बिजली मिल रही
उत्तर प्रदेश जहां 17 हज़ार मेगावाट के आसपास बिजली की जरूरत हैं वहीं 15 हज़ार मेगावाट के आसपास मिल रही है. यानी ज़रूरत से लगभग 2 हज़ार मेगावाट कम. एक-दो दिन पहले तक तो ये हालात हो गए थे की ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 18 घंटे बिजली की आपूर्ति होनी चाहिए वहां 12 से 13 घंटे के बीच ही हो पा रही है.
वहीं तहसील क्षेत्रों के लिए साढ़े 21 घंटे की बिजली आपूर्ति होनी चाहिए. लेकिन इसमें भी सिर्फ 19 घंटे के आसपास ही आपूर्ति हो रही थी. बात बुंदेलखंड की करें तो जहां 20 घंटे बिजली सप्लाई मिलनी चाहिए वहां 17 घंटे के आस-पास ही मिल पा रही थी.
कई पावर प्लांट में एक दिन से भी कम का कोयला
यूपी में बिजली व्यवस्था का दारोमदार राज्य के अपने चार बिजलीघरों के अलावा निजी क्षेत्र के आठ और एनटीपीसी के करीब डेढ़ दर्जन बिजलीघरों से मिलने वाली बिजली पर है. कोयले की कमी से लगभग 6873 मेगावाट क्षमता की इकाइयां या तो बंद हुई हैं या उनके उत्पादन में कमी करनी पड़ी है.
पावर प्लांट | किस पावर प्लांट में बचा कितना कोयला |
प्लांट स्टॉक जरूरत |
कितने दिन का स्टॉक |
हरदुआगंज |
8315 |
8000 |
1 दिन |
पारीछा |
12,539 |
15000 |
0.75 दिन |
अनपरा |
82967 |
40000 |
2 दिन |
ओबरा |
40461 |
16,000 |
2.5 दिन |
बिजली बचाने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
वैसे तो उत्तर भारत के मौसम में सर्दी का अहसास होने लगा है. लेकिन अभी दोपहर और रात में लोग AC का इस्तेमाल कर रहे हैं. बिजली बचाने के लिए AC का इस्तेमाल सीमित करें. इसके साथ ही गैर जरूरी चीजें बंद रखें. बिजली उपकरण इस्तेमाल में ना हों तो पावर स्विच से ऑफ करें. बेकार में खर्च होती बिजली को बचाएं.
बिजली बनाने के लिए उत्पादन इकाइयों में कोयले की जरूरत होती है. लेकिन अब इस कोयले की ही कमी हो रही है. इसका असर ये है कि बिजली का उत्पादन कम हो रहा है. केंद्र सरकार का दावा है कि कोयले की कमी नहीं लेकिन राज्य इससे इंकार कर रहे हैं.