Explained: देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को संपन्न हुए अभी दो हफ्ते भी नहीं बीते हैं कि अब एक बार फिर चुनाव की घंटी बज गई है. अगले छह महीने के भीतर उत्तराखंड (Uttarakhand) और दिल्ली (Delhi) में एक-एक सीट पर विधानसभा (Vidhan Sabha) और यूपी में लोकसभा (Lok Sabha) की दो सीटों पर उप चुनाव होंगे. सवाल है कि आखिर इसकी नौबत क्यों आई? इसके साथ ही ये भी सवाल है कि आखिर ये चुनाव छह महीने के भीतर ही कराए जाने का अनुमान क्यों है.
यहां पर तय है चुनाव
दरअसल, यूपी में विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव और कद्दावर नेता आजम खान ने जीत दर्ज करने के बाद अपनी-अपनी लोकसभा सीट छोड़ने का एलान किया है. दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया है. इसलिए यहां चुनाव का होना लाजमी है. इस तरह से दिल्ली विधानसभा के सदस्य राघव चड्ढा अब पंजाब से राज्यसभा का सदस्य बनने जा रहे हैं, ऐसे में उनके इस्तीफे के बाद खाली राजेंद्र नगर विधानसभा सीट पर भी चुनाव होंगे.
उत्तराखंड में क्यों होंगे चुनाव
लेकिन सबसे अहम मामला उत्तराखंड का है, जहां चुनाव हारने के बाद भी बीजेपी ने पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है. ऐसे में उन्हें विधानसभा का चुनाव जीतकर आना होगा और उन्हें ये काम छह महीने के भीतर करना होगा. इसके लिए होगा ये कि कोई जीता हुआ सदस्य अपनी सीट से इस्तीफा देगा और फिर उस सीट से धामी चुनाव लड़ेंगे. छह महीने के भीतर चुनाव का अनुमान इसलिए लगाया जा रहा है कि धामी को छह महीने के अंदर ही विधानसभा का सदस्य बनना पड़ेगा. इसलिए ये तय है कि अगले छह महीने के भीतर उत्तराखंड की एक सीट पर विधानसभा चुनाव होंगे.
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