लखनऊः उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए तमाम योजनाएं चला रहे हैं. जिससे सबका साथ और सबका विकास के साथ उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश बन सके. लेकिन कुर्सी पर बैठे अफसर और फील्ड में योजनाओं को परवान चढ़ाने वाले कर्मचारी ही फर्जीवाड़ा करने में जुटे हैं. यहां बलरामपुर जिले में वर्ष 2019-20 में लड़कियों की शादी के लिए मिलने वाले शादी अनुदान योजना का लाभ सिर्फ अपात्रों को दे दिया गया. जांच शुरू होने पर अब अधिकारी अपनी गर्दन बचाने में जुटे हैं.
बलरामपुर में सदर ब्लाक के नंदनगर ठठिया गांव के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अशोक कुमार ने इसका खुलासा किया है. उन्होंने करीब 4 माह पहले समाज कल्याण विभाग, जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय में शिकायत की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके गांव में सरकार की ओर से चलाई जा रही शादी अनुदान योजना का लाभ अपात्रों को दे दिया गया है.
शादी अनुदान योजना में फर्जीवाड़ा
अशोक कुमार के अनुसार करीब 40 से 45 लोग ऐसे हैं जिन्हे पता ही नहीं कि उनके खाते में किस योजना का पैसा आया है. वहीं कुछ लोगों ने यह कहकर कि उन्होंने पैसा भेजवाया है, उनके खाते से पैसा निकलवा लिया गया. इतना ही नहीं जिनकी लड़की नाबालिग है, जिनकी लड़कियां ही नहीं हैं, कुछ की शादी दो तीन साल पहले ही हो चुकी या जिनकी शादी ही नहीं हुई. उनके नाम पर अधिकारियों से मिली भगत करके दलालों ने आवेदन कर योजना का पैसा हजम कर लिया है.
अधिकारियों से शिकायत के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो सामाजिक कार्यकर्ता अशोक कुमार ने नवंबर 2020 में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को शिकायत की तब जाकर जांच शुरू हुई.
फर्जीवाड़े से जिला प्रशासन में हड़कंप
मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर मामले का संज्ञान लेने के बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में जांच कराई गई तो पता चला की वर्ष 2019-20 के दौरान शादी अनुदान योजना के लिए नंदनगर ठठिया गांव से कुल 63 लड़कियों के परिवारों ने आवेदन किया था. जांच के दौरान 63 में से 60 अपात्र पाए गए. जिसमें से 24 लाभार्थी पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, 29 लाभार्थी अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और 7 आवेदन समाज कल्याण विभाग के हैं.
दलालों ने लिया योजना का लाभ
गांव में रहने वाली प्रियंका 11 साल की नाबालिग हैं जिसकी शादी नवम्बर 2019 में दिखाकर दलालों ने योजना का लाभ ले लिया. प्रियंका के अनपढ़ पिता हुसैनी को पता ही नहीं है कि उनके खाते में किस योजना का पैसा आया था लेकिन उन्होंने दलाल के कहने पर वो पैसा निकालकर उसे दे दिया.
इसी तरह गांव में रहने वाली 25 साल की सकीना जिनकी शादी अभी नहीं हुई. 24 जुलाई 2019 में इनकी शादी दिखाकर दलालों ने योजना का लाभ ले लिया और इन्हें इसका पता भी नहीं है. सकीना की मां फातिमा का कहना है कि दो साल पहले एक लड़की की शादी हुई थी, उसमें पैसा मिला था. सकीना की तो अभी शादी भी नहीं हुई.
शुरू हुई जांच
शिकायत के बाद जांच शुरू हुई तो फर्जी लाभार्थियों में हड़कंप मच गया. लोग बचने के लिए बहाने बनाते नजर आये. गांव में रहने वाली 25 साल की जन्नतुन्निशा जांच के दौरान अविवाहित पाई गई लेकिन सरकारी दस्तावेजों में इनकी शादी 28 अगस्त 2019 को दिखाई गई है. जब फर्जीवाडा पकड़ में आया तो लड़की के पिता सफीउल्ला ने पैसा मिलने की बात कबूल की और लॉकडाउन में शादी टालने का बहाना बनाना शुरू किया जबकि लॉकडाउन मार्च 2020 के बाद लगा था.
अनुदान में मिलते हैं 20 हजार रुपये
सूबे की योगी सरकार प्रदेश में लड़कियों की शादी पर 20 हजार रूपये का अनुदान देती है. इसके लिए बस लड़कियों के परिजनों को ब्लॉक स्तर पर आवेदन करना होता है. फिर सत्यापन के बाद लड़कियों की जाति के अनुसार संबंधित विभाग उसके पिता के खाते में 20 हजार की सहायता राशि भेज देता है. मामला सामने आने पर विभागों में हड़कंप मचा हुआ है, आनन फानन में जांच के दायरे में आये अपात्रों से वसूली की बात कही जा रही है.
मुख्य विकास अधिकारी अमनदीप डुली ने बताया कि मामला सामने आया है अपात्रों से रिकवरी और एफआईआर करवाई जा रही है. फर्जीवाड़े में अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता के सवाल पर उन्होंने कहा कि जो भी दोषी होगा निलंबन की कार्रवाई की जाएगी.
फर्जीवाड़े के बड़े स्तर पर होने के आसार
बता दें कि जिले में 800 ग्राम पंचायतें है और ये फर्जीवाडा केवल एक गांव में सामने आया है. अधिकतर लाभार्थियों को तो पता ही नहीं है कि उनके खाते में किस योजना का पैसा आया है. उनसे तो बस दलालों ने कुछ दस्तावेज मांगे थे जो तथाकथित लाभार्थियों के परिजनों ने उन्हें दे दिये. उसके बाद जो पैसा खाते में आया वो पैसा भी दलालों को दे दिया गया.
अब सवाल यह सामने आता है कि जिन्हें पता ही नहीं है उनसे रिकवरी क्यों हो रही है. इसके साथ ही इस मामले में मुख्य रूप से दोषी दलाल, अधिकारी और कर्मचारियों पर कार्रवाई कब होगी. अगर शासन स्तर से जिले के सभी ग्राम पंचायतों में लाभार्थियों का सत्यापन कराया जाए तो इस योजना में बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आने की उम्मीद है.
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