लखनऊ. उत्तर प्रदेश के जालसाजों और ठगों के निशाने पर अब विधानसभा और सचिवालय हैं. जहां से भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए तमाम कानून बनते हैं, नियम कायदे बनते हैं. वहीं, विधानसभा और सचिवालय का इलाका जालसाजी और ठगों का अड्डा बन गया है. कभी फर्जी पास तो कभी फर्जी समीक्षा अधिकारी पकड़े जा रहे हैं. इसी लापरवाही का फायदा उठाकर करोड़ों की ठगी वाले पशुपालन और नमक घोटाले को अंजाम दिया गया. लेकिन अब सवालों के घेरे में विधानसभा की सुरक्षा और कर्मचारी आ गए हैं.


जारी किये फर्जी पास से गुजरी गाड़ियां 


शुक्रवार को विधानसभा के गेट नंबर 7 से सुरक्षाकर्मियों ने DL 10 CG 2190 नंबर की फॉर्च्यूनर कानपुर के नंबर वाली UP78,DD-2454 गाड़ी को जारी पास के साथ पकड़ी गई. गाड़ी में अभय प्रताप सिंह नामक युवक बैठा था, जिसके पास से समीक्षा अधिकारी संविदा के पद नाम वाला पहचान पत्र भी बरामद हुआ.



एक ही दिन में दो फर्जी पास वाली गाड़ी


कुछ ही देर बाद इसी गेट नंबर से दूसरी इनोवा गाड़ी भी दूसरी गाड़ी का पास लगाकर पकड़ी गई. एक ही दिन में फर्जी पास के दो मामले सामने आए. लेकिन आपको जानकर ताज्जुब होगा कि इन दोनों ही मामलों में सचिवालय के सुरक्षा प्रशासन के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई. ना तो पकडी गई गाड़ी और आरोपियों से पूछताछ के लिए स्थानीय पुलिस को सूचना दी गई और ना ही फर्जी पास लगाकर विधानसभा में प्रवेश के इस मामले में हजरतगंज कोतवाली में कोई लिखित शिकायत दर्ज कराई गई.


मामला रफा दफा कर दिया गया


विधानसभा सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाने वालों ने दोनों ही गाड़ियों को छोड़ दिया और मामला रफा-दफा हो गया. यह कोई पहला मामला नहीं है, जब विधान सभा सचिवालय से जालसाजी पकड़ी गई हो. इससे पहले 19 अगस्त 2019 को पूर्व विधायक के नाम पर जारी गाड़ी का फर्जी पास लगाकर एक गाड़ी पकड़ी गई. सितंबर 2019 को फर्जी पहचान पत्र और प्रवेश पत्र के साथ जालसाज पकड़ा गया. लेकिन किसी भी मामले में कानूनी कार्रवाई नहीं हुई.


पहले भी हो चुके हैं कई फर्जीवाड़े


यही विधानसभा सचिवालय था जहां पर आशीष राय, अनिल राय जैसे जालसाजों ने मिलकर इंदौर के व्यापारी से आटा सप्लाई के नाम पर करोड़ों रुपए ठग लिए थे. विधानसभा के अंदर ही फर्जी आईएएस अधिकारी का कमरा भी बना दिया गया और उसको टेंडर भी दे दिया गया था. कुछ ऐसी ही जालसाजी नमक घोटाले के पीड़ित व्यापारी के साथ भी हुई. इन दो मामलों के उजागर होने के बाद हड़कंप तो खूब मचा. एसीपी स्तर के दो अधिकारियों को दोनों घोटाले की जांच सौंपी गई. 14 लोग गिरफ्तार कर जेल भेज दिए गए. दो आईपीएस सस्पेंड हो गए. मंत्री तक सो पूछताछ हो गई, लेकिन विधानसभा में जालसाजी नहीं रुक रही. लिहाजा अब सचिवालय कर्मचारी संघ इसे विधानसभा सचिवालय की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा मान रहा है और अब अधिकारियों तक इस लापरवाही की शिकायत करने के लिए लामबंद हो रहा है.


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