अयोध्या: अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने लगभग 8 बिस्वा जमीन खरीदी है. उस भूमि तक श्री राम जन्मभूमि परिसर का विस्तार नहीं होगा, बल्कि राम जन्मभूमि परिसर से सटे फकीरे राम मंदिर को वहां स्थानांतरित किया जाएगा. इसके लिए मंदिर के महंत से ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी समेत अलग-अलग लोगों के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों ने भी बातचीत कर ली है. इस मंदिर को वहां स्थानांतरित करने के पीछे राम जन्मभूमि परिसर का विस्तार तो करना ही है, साथ ही साथ जो राम मंदिर की राह में ईशान कोण का रोड़ा आ रहा है, उसको भी दूर करना है.
लेकिन एक समस्या और आ गई है कि जिस जमीन को फकीरे मंदिर को स्थानांतरित करने के लिए लिया गया है, उस जमीन के पहले एक और मकान बना हुआ है, जिसके कारण मंदिर के स्थानांतरण के बाद वहां तक जाने के लिए महज 7 फुट का रास्ता मिल रहा है. लेकिन मंदिर के महंत को ट्रस्ट ने विश्वास दिलाया है कि उन्हें 20 फुट का रास्ता दिया जाएगा. ऐसा करने के पीछे यह दलील भी दी गई है कि, जो मकान बना है उसका कुछ हिस्सा नजूल में है इसलिए उस मकान की बाउंड्री वाल गिरा कर रास्ता दिया जाएगा. जमीन के साथ- साथ राम मंदिर ट्रस्ट ने मंदिर बनाने के लिए 4 करोड़ रुपए देने की भी बात की है. हालांकि अभी तक कोई लिखा पढ़ी नहीं हुई है.
फकीरे मंदिर के लिये खरीदी गई जमीन
आपको बता दें कि, 20 फरवरी को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अयोध्या में जगदीश कुमार की 8 बिस्वा जमीन दो करोड रुपए में खरीदी है. इसके लिए 1,40,160 रुपए स्टांप शुल्क के रूप में चुकाए गए हैं. जमीन की रजिस्ट्री में ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्र और गोसाईगंज विधानसभा सीट से अपना दल के विधायक इंद्र प्रताप उर्फ खब्बू तिवारी गवाह के रूप में हैं. इस भूमि का प्रयोग राम जन्मभूमि परिसर से सटे फकीरे राम मंदिर को यहां पर स्थानांतरित करने के लिए किया जाएगा.
मंदिर के लिये दिये जाएंगे 4 करोड़ रुपये
मंदिर के निर्माण के लिए 4 करोड़ रुपए ट्रस्ट द्वारा देने की बात भी कही गई है. लेकिन अभी स्थानांतरण को लेकर किसी कागजात पर कोई हस्ताक्षर नहीं हुए हैं. इस जमीन के पहले सड़क के किनारे एक मकान है. इसके कारण ट्रस्ट द्वारा खरीदी गई भूमि तक पहुंचने के लिए महज 7 फुट का रास्ता है, जिस पर फकीरे राम मंदिर के महंत को आपत्ति है, जिसको देखते हुए उन्हें ट्रस्ट की तरफ से विश्वास दिलाया गया है कि, उन्हें 20 फुट का रास्ता दिया जाएगा. इसके लिए यह भी बताया गया है कि उक्त भूमि के पहले जो मकान है उसका कुछ हिस्सा नजूल में है इसलिए उस मकान की बाउंड्री को तोड़कर रास्ता चौड़ा किया जाएगा.
फकीरे मंदिर के इतिहास
अब हम आपको उस फकीरे राम मंदिर के बारे में बताते हैं. जो कभी अयोध्या की शान हुआ करता था. लगभग 26 बिस्वा जमीन में फैले इस मंदिर का परिसर हमेशा राम धुन से गूंजा करता था और मशहूर मृदंग वादक बाबा पागल दास समेत कई बड़े नाम इसी मंदिर की उत्पत्ति माने जाते हैं. राम जन्मभूमि परिसर से लगे इस मंदिर की भूमि को लगभग ढाई सौ साल पहले मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बाबा फकीरे को दान दिया था. क्योंकि बाबा फकीर के वेश में रहते थे और हिंदू-मुसलमान दोनों उनके शिष्य थे. इस मंदिर को राम जन्मभूमि परिसर में शामिल करने को लेकर कई बार बात हुई, लेकिन अब राम मंदिर के लिए नए ट्रस्ट का गठन होने के बाद इस दिशा में मजबूत और सार्थक पहल हुई है.
मंदिर को स्थानांनतरित करने के लिए मनाया
हाल में ही राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक के बाद ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी समेत ट्रस्ट के कई लोगों के अलावा अयोध्या के प्रभावशाली लोगों ने भी महंत से मुलाकात कर मंदिर को हस्तांतरित करने पर मना लिया है. इसके लिए मंदिर निर्माण के लिए जमीन के साथ-साथ निर्माण व्यय के रूप में चार करोड़ रुपए की भी पेशकश की गई है. फकीरी राम मंदिर की 8वीं पीढ़ी के महंत रघुवर शरण मंदिर को स्थानांतरित करने पर तो सहमत हो गए हैं, लेकिन उन्होंने ट्रस्ट के सामने यह शर्त रखी है कि मंदिर के लिए भूमि स्थानांतरित होने के बाद उस पर उस पर मंदिर निर्माण के लिए उन्हें 10 महीने का समय चाहिए. इतने दिन में वह मंदिर का प्रथम तल तैयार कर लेंगे और ठाकुर जी को उसके बाद वहां शिफ्ट करेंगे और उसी के बाद वह अपने मंदिर परिसर को छोड़ेंगे.
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