Uttarakhand Disaster: खत्म हो रही परिजनों की उम्मीदें, रुंधे गले से बोला पिता- 'कम से कम बेटे की उंगली ही ला दो'
चमोली के तपोवन टनल में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी जारी है. हालांकि, टनल में फंसे लोगों के परिजनों की उम्मीदें धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं.
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जोशीमठ. उत्तराखंड में रविवार को आई त्रासदी के बाद चला रेस्क्यू ऑपरेशन आज छठे दिन में प्रवेश कर चुका है. तपोवन टनल में फंसे लोगों को निकालने के लिए कई एजेंसियां दिन-रात एक कर बचाव अभियान में लगी हुई हैं. जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, वैसे-वैसे ही टनल में फंसे लोगों के जिंदा होने की उम्मीदें कम होती जा रही हैं. कई परिवारों ने टनल में फंसे अपने सदस्यों के जिंदा होने की उम्मीदें भी छोड़ दी हैं. ऐसे में इन परिवारों का बचाव दल से सिर्फ ये ही अनुरोध है कि किसी तरह वे शव को ही टनल से बाहर ले आएं.
तपोवन सुरंग में बाढ़ का पानी धीरे-धीरे कम हो रहा है. मलबे की ऊंचाई भी लगातार कम हो रहा है. बचाव अभियान में लगे जवानों का कहना है कि सुरंग में फंसे 37 लोगों को बाहर निकालने के लिए लगातार प्रगति कर रहे हैं. त्रासदी में अब तक 36 लोग मारे जा चुके हैं. वहीं, 168 लोग लापता है.
धीरे-धीरे खत्म हो रही परिजनों की उम्मीदें तपोवन टनल में फंसे लोगों के परिजनों की उम्मीदें खत्म हो रही है. टनल में काम कर रहे वेल्टर विजय सिंह के पिता रोते हुए कहते हैं, ""मुझे मेरे बेटे की एक उंगली भी दे दो. मैं उसे अंतिम संस्कार करने के लिए अपने गांव ले जाऊंगा."
विजय सिंह की तरह ही एनटीपीसी के दर्जनों मजदूरों के मलबे में दफ्न होने की आशंका है. हालांकि, बचाव दल लगातार लोगों को टनल से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा है.
मशीनरी लेकर पहुंचा चिनूक इससे पहले, धौलीगंगा नदी में गुरुवार को एक बार फिर जलस्तर बढ़ जाने से सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के लिए जारी मैराथन अभियान में थोड़ी देर के लिए रूकावट आई, लेकिन उसे फिर शुरू कर दिया गया. उधर, सेना का हेलिकॉप्टर चिनूक गुरुवार को बीआरओ के लिए भारी मशीनरी लेकर पहुंचा. इसके अलावा 14 पैसेंजर्स और 1400 किलो लोड, बीआरओ के 5 अधिकारी और 3 टन सामान को यहां पहुंचाया गया.
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