बरेली: उत्तर प्रदेश के नए धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किए जाने वाले पहले युवक के परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने युवक के पिता को बल प्रयोग करके और उनका उत्पीड़न करके बयान पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया था. पुलिस ने 71 वर्षीय पिता मोहम्मद रफीक का एक वीडियो भी रिकॉर्ड किया है, जिसमें उन्हें 3 गवाहों के सामने लिखित बयान को दोहराने के लिए कहा गया था. यह तब सामने आया जब समाचार रिपोर्ट में दावा किया गया कि रफीक ने आरोप लगाया है पुलिसकर्मियोंने उसे पीटा और धमकाया है.


पुलिस ने स्वीकार किया कि उन्होंने रफीक को कुछ समय के लिए हिरासत में लिया गया था क्योंकि उन्हें उसकी सुरक्षा को लेकर डर था. क्योंकि लड़की के लापता होने के बाद पिछले साल स्थानीय लोगों ने उसे पीटा था.


बरेली के आईजी का बयान


बरेली रेंज के डीआईजी राजेश पांडे ने कहा, "पिता को ग्रामीणों ने तब पीटा था जब लड़की पिछले साल भाग गई थी. हम नहीं चाहते थे कि ऐसी किसी भी स्थिति की पुनरावृत्ति हो इसलिए उसे पुलिस निगरानी में एक सुरक्षित स्थान पर रखा गया. हमें खुफिया टीमों से जानकारी मिली थी और हमारी प्राथमिकता कानून और व्यवस्था को बनाए रखने की थी क्योंकि गांव में दोनों समुदायों के लोग रहते हैं."


परिवार से मतभेद के चलते लड़की भागी


रफीक ने बयान में यह भी कहा कि लड़की अपने परिवार के सदस्यों के साथ मतभेदों के चलते भागी थी. लड़के के पिता ने संवाददाताओं से कहा, "मेरा बेटा निर्दोष है, उसे लड़की के परिवार ने फंसाया है. पिछली बार भी जब लड़की को छोड़ दिया गया था तब उसने बयान दिया था कि उसने अपने परिवार के सदस्यों के साथ मतभेद के कारण उन्हें छोड़ा था."


एएसपी (ग्रामीण) संसार सिंह ने कहा, "इस मामले में कई चश्मदीद गवाह हैं, जिन्होंने आरोपी को लड़की और उसके पिता को धमकाते हुए देखा. उसने लड़की के उसके पति के साथ रिश्ते को खराब करने की भी कोशिश की. हमने कानून के मुताबिक कार्रवाई की है." गांव में आरोपी और शिकायतकर्ता दोनों के घरों के पास पुलिस तैनात है.


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