गोंडा. किसी भी व्यक्ति के जीवन में मां का महत्व उस व्यक्ति के जीवन से कहीं बढ़ कर होता है और जो जगत जननी है उसके स्थान का तो वर्णन ही नहीं किया जा सकता है. इसी मां का एक मंदिर गोण्डा जिले के बेलसर क्षेत्र में स्थित है. ऐसी मान्यता है कि सती मां के शरीर को जब शंकर भगवान लेकर जा रहे थे तो भगवान विष्णु ने जगत कल्याण के लिये अपने चक्र से उनके शरीर को छिन्न भिन्न कर दिया था और उनके शरीर के अंग 51 स्थानों पर गिरे जो बाद में शक्ति पीठ बन गये. उन्हीं में से एक है वाराही देवी का स्थान. ये स्थान 34वां शक्तिपीठ है. यहां पर मां सती के पीछे के दो दांत गिरे थे जहां पर आज भी दो छिद्र मौजूद हैं, जिनकी गहराई आज तक नहीं मापी जा सकी है. ऐसी किंवदंति है कि सालों पहले किसी ने ऐसा करने का प्रसास किया था तो उनकी देखने की शक्ति चली गई थी. इसके बाद इस छिद्र में करीब 4000 मीटर धागे में एक पत्थर बांध कर डाला गया था मगर कुछ पता नहीं चल पाया. यहां यूं तो रोजाना हजारों भक्त दर्शन करते हैं लेकिन नवरात्र में यहां रोज लाखों भक्तों का जमावड़ा रहता है. पढिये ये रिपोर्ट.


51शक्तिपीठों में से एक मां वाराही


शारदीय नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है लेकिन कोरोना का साया मां के मदिरों पर भी साफ नजर आ रहा है. नवरात्रि के दिनों में मंदिरों में उमड़ने वाली भीड़ इस बार बेहद कम है. श्रद्धालु कम आ रहे हैं लेकिन भक्तों की श्रद्धा में कोई कमी नजर नहीं आ रही है.कई ऐसे श्रद्धालु दिखे जो मां की भक्ति में लीन होकर लेटते हुए मां वाराही के दर्शन के लिए आ रहे हैं. गोंडा जिले के उमरीबेगमगंज क्षेत्र में मां वाराही के मंदिर पर भी कोरोना का साया साफ दिखाई दे रहा है. माता का यह स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक है. मान्यता है कि यहां माता का जबड़ा गिरा था. 51 शक्तिपीठों में से मां वाराही का 34 वां स्थान है.


इस तरह प्रकट हुई मां वाराही


मां वाराही यहां पिंडी रूप में विराजमान हैं. एक अन्य कथा के अनुसार वाराह अवतार के समय जब भगवान श्री हरि ने हिरणाक्ष नाम के राक्षस का संहार किया उसके बाद यहीं पर मां वाराही का ध्यान किया था. मां के इस मंदिर में वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है और यहां आने वाले भक्तों की मनोकामना मां अवश्य पूरा करती हैं. लेकिन इस बार यहां बेहद सीमित संख्या में मां के भक्त पहुंच रहे हैं और मां के दर्शन पूजन कर अपनी व देश की सुख समृद्धि की प्रार्थना कर रहे हैं. माता में आस्था रखने वाले यहां आने वाले भक्तों का यह भी विश्वास है कि यदि किसी की भी आंख में कोई दिक्कत होती है तो यहां मंदिर परिसर में स्थित वट वृक्ष से निकले दूध को आंख में डालने से उसकी आंखें ठीक हो जाती हैं.


इस मन्दिर में पूरे नवरात्रि में भक्तों का जमावड़ा लगता है. यहां लोग अपनी तरह तरह की मुरादें लेकर आते हैं और सभी की मुरादे पूरी होती हैं. माता जी के भक्तों ने बताया कि यहां का बहुत बड़ा महत्व है. मंदिर के पुजारी ने इस दौरान कहा कि इस मंदिर की महिमा किसी से छुपी नहीं है. यहां नवरात्र में लाखों लोग यहां सर झुकाने आते है और उनकी मनोकामनायें पूरी होती हैं.