मशहूर शायर अजमल सुलतानपुरी का निधन, बुलाने पर भी नहीं गए पाकिस्तान, कही थी बड़ी बात
मशहूर शायर अजमल सुलतानपुरी का बुधवार की शाम निधन हो गया। वो 97 साल के थे। देश के कई बड़े शहरों के अलावा अजमल दुबई, कुवैत जैसी जगहों पर भी कवि सम्मेलन का हिस्सा बने। हालांकि वो कभी अमेरिका और पाकिस्तान नहीं गए।
सुलतानपुर, एजेंसी। जाने-माने शायर अजमल सुलतानपुरी का बुधवार शाम लम्बी बीमारी के बाद सुलतानपुर के खैराबाद मोहल्ले में स्थित आवास पर निधन हो गया। वह 97 वर्ष के थे। अजमल सुलतानपुरी की रचना "कहां है मेरा प्यारा हिंदुस्तान, उसे मैं ढूंढ रहा हूं" काफी चर्चित रही और उनकी गजलों ने जिले को एक अलग पहचान दिलाई।
बीती 6 जनवरी को वयोवृद्ध शायर अजमल सुलतानपुरी को शहर में स्थित करुणाश्रय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कोमा में चले जाने के बाद डॉक्टरों की सलाह पर उनके परिवार वाले उन्हें घर पर ले आये थे। बुधवार की शाम लगभग साढ़े सात बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
अजमल का जन्म सुलतानपुर जिले के कुड़वार बाजार के निकट हरखपुर गांव में 1923 को एक साधारण परिवार में हुआ था। 1967 में सामाजिक बुराइयों के खिलाफ खड़े होने पर कई लोगों ने उन्हें अधमरा कर दिया था और उनका सुल्तानपुर से मुंबई तक इलाज हुआ और इस घटना के बाद वे कभी वापस अपने घर नहीं लौटे थे।
देश के कई बड़े शहरों के अलावा अजमल दुबई, कुवैत जैसी जगहों पर भी कवि सम्मेलन का हिस्सा बने। हालांकि वो कभी अमेरिका और पाकिस्तान नहीं गए हैं। उन्हें पाकिस्तान से कवि सम्मेलन के लिए ऑफर भी आया था, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया था। उनका मानना था कि जब पाकिस्तान हमसे अलग हो गया है तो मैं वहां कैसे जा सकता हूं।
अजमल मानते थे कि किसी भी आर्टिस्ट का सरकार से कोई भी उम्मीद रखने का मतलब है कि वो कोई रचनाकार नहीं बल्कि बनिया है। कोई भी आर्टिस्ट अगर किसी लालच के चलते कुछ रचता है तो उसकी कला में वो मौलिकता नहीं रहती है। वो मानते थे कि इससे पढ़ने वालों को भी उसमें बनावटीपन दिखता है और उसमें वो रस भी नहीं होता, जो कविता या शायरी में होना चाहिए।
उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी की तरफ से उन्हें 'लाइफ टाइम एचीवमेंट एवार्ड' से नवाजा गया था। अजमल सुलतानपुरी होश संभालने के बाद से ही अपनी आर्थिक जीवन स्थितियों, समय और समाज की विसंगतियों से संघर्ष करते रहे। उनके गीतों में भारत की साझा संस्कृति का स्वर सुनाई पड़ता है।