कानपुर, एबीपी गंगा। एक हजार टन सोने का खजाने का सपना देखने वाले साधु शोभन सरकार का निधन हो गया है। कानपुर देहात के शिवली आश्रम में उन्होंने अंतिम सांस ली। कानपुर नगर, देहात और आसपास के जिलों में उनके भक्तों की तादाद लाखों में है। कानपुर जिले में बाबा शोभन सरकार का मान्यता इस कदर है कि हर घर में कोई एक सदस्य उनका अनुयायी है। शहर के बड़े कारोबारियों में उनके प्रति बड़ी श्रद्धा है। उनके निधन से भक्त शोक में डूब गये हैं। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक भक्त उनके दर्शन के लिये आश्रम जा रहे हैं। हालांकि लॉकडाउन के चलते आवाजाही पर रोक है। शोभन सरकार उस वक्त सुर्खियों में आ गये थे जब उनके बताये जाने पर सोने के खजाने की खोज में भारत सरकार ने उन्नाव के डौंडियाखेड़ा में खुदाई शुरू कर दी थी।


कौन थे शोभन सरकार


शोभन सरकार को रहस्मयी साधू माना जाता है। भक्तों के मुताबिक उन्हें किसी ने नहीं देखा है। शोभन सरकार के नाम से प्रचलित इन साधु का असली नाम परमहंस विरक्तानंद जी है। लोग सम्मानपूर्वक उनके नाम के साथ 'सरकार' जोड़ते हैं। उनका जन्म कानपुर के मैथा ब्लॉक के शकुलनपुरवा के एक परिवार में हुआ था। पिता का नाम पंडित कैलाशनाथ तिवारी था। कहते हैं कि शोभन सरकार को 11 साल की उम्र में वैराग्य प्राप्त हो गया था। शोभन सरकार ने गांव के लोगों के लिए कई तरह के जनहित के काम किए हैं। यही वजह है कि गांववाले भी उन्हें अब भगवान की तरह मानने लगे हैं। शोभन सरकार भगवान राम और हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त माने जाते हैं। यहां बताया जाता है कि उन्होंने राम और हनुमान के कई मंदिरों का निर्माण भी करवाया है।


आश्रम से जुड़े लोग बताते हैं कि उन्होंने गुरु स्वामी सत्संगानंद जी से आठ वर्ष तक दीक्षा ली थी। उन्हीं के कहने पर उन्होंने कानपुर के शिवली स्थित शोभन में आश्रम का निर्माण कराया।


सपने में देखा सोने का खजाना
वर्ष 2013 में शोभन सरकार ने उन्नाव के डौंडियाखेड़ा में राजा राम बख्श सिंह के किले के आसपास एक हजार टन सोना दबा होने का सपना देखा था। इसके बाद वहां सरकार के आदेश पर खुदाई शुरू की गई। इस घटना के बाद से टीवी चैनलों की सुर्खियां बनने वाले साधु शोभन सरकार का पहले से ही उन्नाव के आसापास बहुत प्रभाव रहा है और लोग उन पर श्रद्घा रखते हैं। किले के पास शोभन सरकार का आश्रम भी है। इसे लेकर उस दौर में खूब राजनीति भी हुई थी।