रायबरेली: बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए जहां एक तरफ केंद्र और प्रदेश की सरकारें लगातार दिशा निर्देश जारी कर रही हैं और पराली जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. तो वहीं, दूसरी तरफ पराली जलाकर किसान प्रशासनिक अमले को ठेंगा दिखाने से बाज नहीं आ रहे हैं. रायबरेली के हरचंदपुर थाना क्षेत्र के प्यारेपुर में ऐसा ही एक मामला सामने आया जहां खुलेआम किसान खेतों में पराली जला रहे हैं. पराली जलाने की वजह से प्रदूषण फैल रहा है और प्रशासनिक अमले को इसकी भनक तक नहीं है.


खुलेआम खेतों में जलाई जा रही है पराली
हरचंदपुर थाना क्षेत्र के प्यारेपुर गांव के रहने वाले अकबर अली को प्रशासन का बिल्कुल भी भय और डर नहीं है. खुलेआम खेतों में पराली जलाई जा रही है. पराली जलने से क्षेत्र में प्रदूषण का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है लेकिन अकबर अली को सामाजिक जिम्मेदारी का भी अहसास नहीं है. खुलेआम प्रशासन के आदेशों और निर्देशों की अवहेलना की जा रही है. प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में पराली जलाने को लेकर प्रशासन सख्त है और कार्रवाई भी की जा रही है. बावजूद इसके अकबर अली को इसका तनिक भी भय नहीं है.


सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए
शासन की तरफ से कृषि, राजस्व, पंचायत विकास विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि धान की पराली को जलाने वालो के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई अमल में लाएं. इतना ही नहीं शासन की तरफ से निर्देश हैं कि सभी पराली जलाने वालों की रिपोर्ट प्रतिदिन कृषि विभाग को भेजें. जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव भी धान की पराली को जलाने की रोकथाम के लिए जिले में किए गए प्रबंधों को लेकर कृषि, राजस्व, पंचायत विकास विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की बैठक लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दे चुके हैं.



सजा और जुर्माने का है प्रावधान
धान के अवशेषों को जलाना पर्यावरण प्रदूषण कंट्रोल एक्ट का उल्लंघन है. ईपीसी एक्ट 1981 की धारा 188 के तहत सजा और जुर्माना भी हो सकता है. अगर कोई पराली जलाता हुआ पाया जाता है तो संबंधित व्यक्ति से दो एकड़ भूमि तक 2500 रुपए, दो एकड़ से पांच एकड़ भूमि तक 5000 रुपए, पांच एकड़ से ज्यादा भूमि पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है.



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