26 दिनों से किसान आंदोलन में शामिल हो रहीं इंटरनेशनल शूटर पूनम पंडित, कहा- तीनों कानून काले धब्बे से कम नहीं हैं
पूनम का कहना है कि उनके पिता किसान थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है. पिता के बाद मां ने सब कुछ संभाला है. पूनम किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं. पूनम के ताऊ भी किसान हैं.
नई दिल्ली: किसान आंदोलन का आज 26वां दिन है. पिछले 26 दिनों से बुलंदशहर की रहने वाली किसान की एक बेटी पूनम पंडित लगातार गाजीपुर बॉर्डर पहुंचकर किसानों के समर्थन में शामिल हो रही हैं. वह अंतरराष्ट्रीय शूटर हैं और नेपाल में हुई एक प्रतिस्पर्धा में गोल्ड मेडल भी जीत चुकी हैं. पूनम का कहना है कि किसानों के लिए लाए गए तीनों कानून काले धब्बे से कम नहीं हैं और जब तक इन तीनों कानूनों को रद्द नहीं कर दिया जाता इस किसान आंदोलन को कोई भी बंद नहीं करा सकता और वह भी लगातार इस आंदोलन का हिस्सा बनी रहेंगी.
पिता किसान थे, मृत्यु के बाद मां ने संभाला पूनम का कहना है कि उनके पिता किसान थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है. पिता के बाद मां ने सब कुछ संभाला है. पूनम किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं. पूनम के ताऊ भी किसान हैं. पूनम का कहना है कि किसान परिवार की बेटी होने के नाते यह मेरा फर्ज है कि मैं किसानों के हक की लड़ाई में शामिल रहूं और उनकी आवाज को और बुलंद कर सकूं. मैं रोज यहां पर आंदोलन में शामिल होने आ रही हूं.
कभी सुबह 10 बजे आ जाती हूं तो कभी 12 भी बज जाते हैं. शाम को 6-7 बजे तक यहां पर रुकना होता है. यहां कभी लंगर में सहयोग देना हो या कोई और सेवा उस तरीके से मैं किसान आंदोलन का समर्थन कर रही हूं.
पूनम का कहना है कि अगर किसान बिल में सरकार संशोधन करने के लिए तैयार है तो मतलब साफ है कि यह बिल (कानून) गलत है और सरकार की इस गलती को हम किसान अपने माथे पर क्यों लें. यही वजह है कि हम लोग इस काले कानून को रद्द कराने की मांग कर रहे हैं. हम इस काले कानून के खत्म होने तक यह आंदोलन जारी रखेंगे.
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