उत्तराखंड: मौसम की बेरुखी से किसान मायूस, बारिश न होने से तैयार नहीं हो पा रही हैं फसलें
आलू, गेहूं की फसल के लिये किसान बारिश के भरोसे हैं. इस बार हालत ये है कि अगस्त के बाद बारिश हुई नहीं है, जिसके चलते मौसमी फसलें बर्बादी की ओर हैं. किसानों में मायूसी है.
हल्द्वानी: मौसम की बेरुखी ने पर्वतीय इलाकों के किसानों को मायूस कर दिया है. इस वजह से पहाड़ों में सूखे के आसार पैदा होने लगे हैं. सिंचाई के अभाव में लगाई गई फसल बर्बादी की तरफ है. कड़ाके की सर्दी के बीच अभी बारिश दूर दूर तक नजर नहीं आ रही है. जिससे आने वाले दिनों में खेतों में सिंचाई और पेयजल संकट गहरा सकता है. वहीं गोला नदी में भी पानी का जलस्तर अपने न्यूनतम स्तर पर है.
नहीं तैयार हो पा रही हैं फसलें
दिसंबर का महीना भी आधा गुज़र चुका है लेकिन बारिश का अभी दूर दूर तक नामोनिशान नहीं है. आलू, गेहूं समेत अन्य फसलों की बुवाई के लिए खेत बारिश के अभाव में तैयार नहीं हो पा रहे हैं. सबसे ज्यादा खराब हालात इस समय असिंचित भूमि पर हैं, जो केवल बारिश पर आधारित रहती है. इन स्थानों पर हालात सूखे जैसे हैं. बारिश ना होने से सबसे ज्यादा मुसीबत कोहरे और पाले ने बढ़ा दी है. जिससे पारा भी तेजी से लुढ़का है. वहीं पाले ने सीज़नल फसलों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है. किसानों का मानना है की अगर बारिश समय पर होती तो सूखे जैसे हालात नहीं बनते और आने वाले समय में बारिश नही होती तो खेती के लिहाज से कास्तकारों की दिक्कतें और बढ़ सकती हैं. किसानों के मुताबिक हल्द्वानी के आसपास वाली जगहों में 20 अगस्त के बाद बारिश ही नहीं हुई है.
जल संकट बढ़ेगा
इस साल अपेक्षाकृत मानसून कम रहा है. लिहाजा नदियों का जलस्तर बहुत ज्यादा अच्छा नहीं है, अगर हालात यही बने रहे तो सर्दियों और गर्मियों तक पानी की किल्लत बढ़ने के आसार हैं. जल संस्थान पहले ही जल संकट पर चिंता जता चुका है. वहीं अधिकारियों की उम्मीद अभी सर्दियों में होने वाली बारिश पर टिकी है. अगर आने वाले दिनों में बारिश अच्छी रही तो गोला नदी का जलस्तर और बढ़ सकता है, जिससे मार्च-अप्रैल मई तक पानी की सप्लाई नियमित रूप से हल्द्वानी और आसपास के इलाकों में हो जाएगी. अब यह निर्भर करेगा कि आने वाले दिनों में बारिश कब और कितनी होगी?
अभी भी पहाड़ों में जिस तरह कोहरे का सितम चल रहा है, उससे अभी राहत मिलने की उम्मीद नहीं है. बारिश होने के आसार भी कम ही नज़र आ रहे हैं. जिससे किसानों की मुश्किलें बढ़नी तय है.
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