गौतमबुद्ध नगर में सीमेंट फैक्ट्री के लिए अधिग्रहित भूमि का अधिग्रहण रद करने के खिलाफ किसानों की याचिकाएं खारिज
गौतमबुद्ध नगर में सीमेंट फैक्ट्री के लिए अधिग्रहित भूमि का अधिग्रहण रद करने से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन्कार कर दिया है। दादरी तहसील के 2 गांव भारतपुरा और धूम मानिकपुर की 94.3 9 एकड़ भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिका पर न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की पीठ ने सुनवाई की।
प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर में सीमेंट फैक्ट्री के लिए अधिग्रहित भूमि का अधिग्रहण रद करने से इन्कार करते हुए दर्जनों किसानों की याचिकाएं खारिज कर दी हैं। कोर्ट ने कहा कि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अर्जी दाखिल करने वाले किसानों ने अदालत आने में बेवजह की देरी कर दी। देरी की वजह से याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती है।
अदालत का कहना था यह स्थापित नियम है कि यदि अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी हो चुकी है और इसके विरुद्ध अदालत जाने में बेवजह की देरी की गई है तो है तो हाइकोर्ट को अनुच्छेद 226 में दिए अधिकारों का प्रयोग सभी पहलुओं पर विचार करके ही करना चाहिये।
दादरी तहसील के 2 गांव भारतपुरा और धूम मानिकपुर की 94.3 9 एकड़ भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिका पर न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की पीठ ने सुनवाई की। याचीगण का कहना था कि 18 जुलाई 2005 और 18 अगस्त 2005 को अधिसूचना जारी कर राज्य सरकार ने सुनियोजित औद्योगिक विकास के नाम पर जमीन का अधिग्रहण किया था।
भूमि उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) को दी जानी थी। मगर बाद में याचीगण को पता चला कि जमीन एक प्राइवेट सीमेंट कंपनी अंबुजा सीमेंट के लिए अधिग्रहित की गई थी। याचीगण ने भूमि अध्याप्ति अधिकारी के समक्ष 850 रुपये प्रति स्क्वायर यार्ड मुआवजा देने की मांग की थी, मगर उनकी मांग पर बिना कोई सुनवाई किए भूमि अध्याप्ति अधिकारी ने खतौनी में उनका नाम खारिज कर यूपीएसआईडीसी का नाम दर्ज करने का आदेश पारित कर दिया।
नामांतरण का आदेश जारी करने से पूर्व याचीगण को सुनवाई का कोई मौका नहीं दिया गया। यह भी कहां गया कि अधिग्रहण की अधिसूचना एक समाचार पत्र में प्रकाशित की गई जिसका कोई प्रसार नहीं है। याचीगण का कहना था कि वैधानिक अधिग्रहण की आड़ में प्राइवेट कंपनी के लिए अधिग्रहण किया गया। जबकि प्रदेश सरकार ने अधिग्रहण की कार्रवाई को विधिपूर्ण बताते हुए कहा कि याचीगण ने अदालत आने में अनावश्यक विलंब किया है जिसका उनके पास कोई स्पष्टीकरण नहीं है। इसलिए याचिका खारिज होने योग्य है।
यह भी कहा गया जमीन का अधिग्रहण यूपीएसआईडीसी के माध्यम से किया गया है जो कि औद्योगिक विकास के लिए है। क्षेत्र में एनटीपीसी की इकाई होने के कारण वहां से निकलने वाली फ्लाई ऐश के निस्तारण हेतु क्षेत्र में एक सीमेंट फैक्ट्री लगाए जाने की आवश्यकता है, ताकि पर्यावरण को होने वाले नुकसान को बचाया जा सके और फ्लाई ऐश का उपयोग सीमेंट बनाने में किया जा सके।