Farmers Protest: किसान और प्रशासन में नहीं बन पाई बात, सुखवीर खलीफा बोले- 'कोई ठोक विकल्प है तो लाएं'
किसान नेता सुखवीर खलीफा ने कहा है कि हमने प्रशासन के सामने अपनी सारी मांगे रख दी हैं. हमें 64% का मुआवजा चाहिए, हमें 10% का विकसित प्लॉट चाहिए. अगर कोई ठोस विकल्प है तो वो लाएं.
Farmers Portest: ग्रेटर नोएडा के जीरो प्वाइंट पर चल रही किसानों की महापंचायत खत्म हुई. महापंचायत के बाद किसानों और प्रशासन के बीच बैठक हुई. बैठक में किसानों ने स्पष्ट कहा या तो हमारी मांगे पूरी करो नहीं तो हम दलित प्रेरणा स्थल जाएंगे और अपना धरना वहां जारी रखेंगे. हालांकि प्रशासन का कहना है कि हम किसी भी तरह से किसानों को दलित प्रेरणा स्थल जाने नहीं देंगे क्योंकि दलित प्रेरणा स्थल दिल्ली बॉर्डर से लगा हुआ है. इसलिए किसानों का धरना या पंचायत जो भी होना है, यही जीरो प्वाइंट पर होगा. दलित प्रेरणा स्थल पर कोई धरना नहीं होगा, ये प्रशासन का स्पष्ट आदेश है.
एबीपी न्यूज से बातचीत के दौरान यमुना प्राधिकरण के ओएसडी शैलेंद्र कुमार ने कहा कि किसानों से बातचीत हो गई है. अब कोई धरना नहीं होगा. गुरुवार को जिलाधिकारी के नेतृत्व में अंतिम चर्चा किसानों से होगी, अब आगे कहीं कुछ नहीं होगा. वहीं किसानों के दलित प्रेरणा स्थल जाने को लेकर कहा कि किसी भी किसान को दलित प्रेरणा स्थल जाने नहीं दिया जाएगा और न ही दलित प्रेरणा स्थल में अब कोई धरना होगा क्योंकि दलित प्रेरणा स्थल दिल्ली से सटा हुआ है इसलिए धरने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता.
प्रशासन के पास ठोक विकल्प है तो लाए- किसान नेता
किसान नेता सुखवीर खलीफा ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत के दौरान कहा कि हमने प्रशासन के सामने अपनी सारी मांगे रख दी हैं. हमें 64% का मुआवजा चाहिए, हमें 10% का विकसित प्लॉट चाहिए. अगर प्रशासन के पास इसका कोई ठोस विकल्प है तो वह लेकर के आ जाए नहीं तो हम दलित प्रेरणा स्थल जाएंगे और वहां पर जैसे हमारा धरना चल रहा था वैसे धरना आगे जारी रहेगा. अब प्रशासन को तय करना है कि उसके पास अगर कोई ठोस जवाब है तो वह लेकर आए नहीं तो हमारा आंदोलन दलित प्रेरणा स्थल पर जारी रहेगा. हम कल यहां से दलित प्रेरणा स्थल के लिए कूच करेंगे.
किसान नेता सुखवीर खलीफा ने कहा कि बुधवार की रात हम यही रहेंगे और गुरुवार को बात नहीं बनी तब दलित प्रेरणा स्थल कूच करेंगे. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि गुरुवार को प्रशासन किसानों को किसी भी हाल में दलित प्रेरणास्थल जाने से रोकने की पूरी कोशिश करेगा तो वहीं किसान अपनी जिद पर अड़े हुए हैं कि वह दलित प्रेरणास्थल जाकर रहेंगे. उनका धरना जैसे चल रहा था वैसे आगे भी जारी रहेगा.