नोएडा. देश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन मंगलवार को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान पर जमकर बवाल हुआ. दिल्ली में कई जगहों पर पुलिस और किसानों के बीच झड़प हुई. झड़प में 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए. वहीं प्रदर्शन के दौरान एक प्रदर्शनकारी की भी जान चली गई. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 22 एफआईआर दर्ज कर ली है. दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर नोएडा-दिल्ली के चिल्ला बॉर्डर पर बैठे किसान क्या सोचते हैं. इसको लेकर एबीपी ने खास बातचीत की.


नए कृषि कानूनों के खिलाफ अन्य जगहों की तरह चिल्ला बॉर्डर पर भी किसान पिछले दो महीने से धरने पर बैठे हुए हैं. यहां बैठे किसानों ने भी मंगलवार को ट्रैक्टर परेड निकाली जो पूरी तरह शांतिपूर्ण रही. चिल्ला बॉर्डर पर डटे किसानों ने दिल्ली में हुई हिंसा की निंदा की है. किसानों का कहना है यह घटना निंदनीय है, लेकिन किसानों को बदनाम करने के लिए साजिश रची गई थी.


"साजिश करने वालों को बेनकाब करे सरकार"
धरने पर बैठेक किसानों ने कहा कि कोई किसान ऐसा नहीं कर सकता है. जो लोग किसानों को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं उन्हें सरकार और पुलिस को बेनकाब करना चाहिए. किसानों ने कहा कि साजिशकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर पिछले दो महीने से यहां बैठे हुए हैं. अगर उन्हें उग्र होना होता तो वह पहले होते, यह सब सोची समझी साजिश के तहत किया गया है.


वहीं, कुछ किसानों का कहना है कि अगर पुलिस ने रिंग रोड पर जाने की इजाजत दी होती तो शायद जो तस्वीरें कल देखने को मिली है वो न मिलती.


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