केंद्रीय राज्य मंत्री बोलीं- किसानों का धरना पूरी तरह से राजनीतिक, कृषि बिल में काले कानून जैसा कुछ नहीं
केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति जब जालौन पहुंची, वहां उन्होंने मीडिया से कृषि बिल को लेकर चर्चा की इसके साथ की उन्होंने मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत को विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधा.
![केंद्रीय राज्य मंत्री बोलीं- किसानों का धरना पूरी तरह से राजनीतिक, कृषि बिल में काले कानून जैसा कुछ नहीं Farmers strike is completely political, nothing like black law in agriculture bill says BJP Sadhvi Niranjan Jyoti ANN केंद्रीय राज्य मंत्री बोलीं- किसानों का धरना पूरी तरह से राजनीतिक, कृषि बिल में काले कानून जैसा कुछ नहीं](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/09/06/ba8762c9b75113f3660e9dd760c8a838_original.png?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
झांसी से कानपुर देहात की ओर एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने जा रहीं बीजेपी की कद्दावर नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति देर शाम जालौन के मुख्यालय उरई के सर्किट हाउस पहुंची. जहां पर उन्होंने अल्प विश्राम के दौरान प्रेस कांफ्रेंस की और केंद्र सरकार के कृषि कानून को किसानों के पक्ष में बताया.
साध्वी निरंजन ज्योति का कहना है कि किसान आंदोलन पूरी तरह से राजनीतिक हैं. कृषि बिल में काले कानून जैसा कुछ नहीं है. देश के कृषि मंत्री किसान नेताओं से 12 बार वार्ता कर चुके हैं. लेकिन आंदोलित किसान मानने को तैयार नहीं.
वहीं पीलीभीत से बीजेपी के सांसद वरुण गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि किसान हमारा ही खून हैं. हमें उनके बारे में सम्मानजनक तरीके से सोचना चाहिए और सरकार उनका दर्द समझे. हालांकि जब इस सवाल पर केंद्रित मंत्री की राय जाननी चाही तो उन्होंने चुप्पी साध ली, प्रेस कांफ्रेंस छोड़ कर चल दी और बोली मैंने ऐसा कुछ अभी सुना नहीं.
किसान महापंचायत ने कृषि कानूनों पर आक्रामक होने का किया फैसला
बता दें कि यूपी में विधानसभा की तैयारियों का बिगुल बज चुका है. बीजेपी पार्टी के साथ विपक्षी दल भी पूरी गर्मजोशी से आगामी विधानसभा चुनावों का शंखनाद कर चुके हैं. लेकिन यूपी के मुजफ्फरनगर नगर में हुई आज किसानों की महापंचायत बीजेपी सरकार का समीकरण बिगाड़ सकती हैं.
मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत में रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के तत्वावधान में 15 राज्यों के 300 से अधिक किसान संगठनों ने भाग लिया था, जो किसान एकता की ताकत का एक बड़ा प्रदर्शन साबित हुआ और इसमें विरोध जारी रखने के अपने संकल्प को दोहराया गया. किसानों ने सर्वसम्मति से तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में 27 सितंबर को पूर्ण भारत बंद का आह्वान किया है.
ये भी पढ़ें-
Petrol-Diesel Price: सितंबर में पेट्रोल-डीजल के दाम दो बार गिरे, जानिए अपने शहर में आज की कीमत
राकेश टिकैत ने तालिबान से की केंद्र सरकार की तुलना, पीएम और सीएम को बताया बाहरी, बीजेपी ने दिया जवाब
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)