फतेहपुर: फतेहपुर जिले के एक गांव में दो दलित बच्चियों की मौत के मामले में मंगलवार को पुलिस ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए मरने की वजह पानी में डूबना बताया है. वहीं, बच्चियों के परिजनों ने बलात्कार के बाद उनकी हत्या किए जाने का आरोप लगाते हुए मामले की जांच सीबीआई से कराने का अनुरोध किया है.


पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सार्वजनिक
फतेहपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) प्रशांत वर्मा ने बच्चियों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए कहा कि, ''असोथर थाना के छिछनी गांव में दो नाबालिग बहनों का शव तालाब में मिला था. मामले की गंभीरता को देखते हुए उन बच्चियों का पोस्टमॉर्टम डॉक्टरों के पैनल के जरिए वीडियोग्राफी कराते हुए कराया गया.''


डूबने के कारण हुई मौत
प्रशांत वर्मा ने कहा कि, ''इस संबंध में कुछ चैनलों या सोशल मीडिया की तरफ से भ्रामक स्थिति उत्पन्न की जा रही थी लेकिन डॉक्टरों के पैनल की तरफ से जो पोस्टमॉर्टम हुआ उसके बाद ये स्थिति स्पष्ट हुई है कि उनकी मृत्यु डूबने के कारण हुई है. आंख फोड़ने, हाथ बांधने और बलात्कार की बात सत्य नहीं है.''


पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं परिवार
बच्चियों के पिता दिलीप ने मंगलवार शाम अपने गांव में कई अधिकारियों की मौजूदगी में असोथर थानाध्यक्ष को संबोधित उपजिलाधिकारी (एसडीएम) सदर को दी गयी तहरीर में कहा है कि, ''बच्चियों की दोनों आंखों में चोट देखकर ऐसा लग रहा है कि उनकी हत्या करके शवों को तालाब में फेंका गया था.'' उन्होंने इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने और मामले की जांच सीबीआई से कराने का अनुरोध करते हुए कहा कि वो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हैं, और इसकी दोबारा जांच हो.


पुलिस कर रही है कानूनी कार्रवाई
वहीं, असोथर थाने के प्रभारी निरीक्षक रणजीत बहादुर सिंह का कहना है कि इस संबंध में पुलिस को अभी तक ''ना तो कोई तहरीर मिली है और ना ही कोई मामला दर्ज किया गया है.'' वहीं, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए पुलिस अधीक्षक वर्मा का कहना है कि, ''किसी प्रकार की कोई एंटीमॉर्टम (मरने से पहले लगी चोट) चोट नहीं है, मृत्यु के पश्चात की की चोटें हैं. इसके अतिरिक्त जो मृत्यु कारण है, वो 'मृत्यु के पूर्व डूबना' बताया गया है. इस संबंध में पुलिस की तरफ से विधिक कार्रवाई की जा रही है.''


बच्चियों की मां ने कही ये बात
इससे पहले बच्चियों की मां ने मीडिया से कहा था कि ''शवों को बच्चियों के चाचा लक्ष्मीकांत और तीन-चार अन्य युवकों ने मिलकर बाहर निकाला था. उनके हाथ-पैर सिंघाड़े की जड़ों से बंधे थे और किसी धारदार हथियार से उनकी आंखें फोड़ने से खून बह रहा था.'' उनका कहना है, ''शवों को घर लाने के बाद पुलिस आई और बिना पंचनामा भरे जबरन उन्हें पोस्टमॉर्टम के लिए ले गई.''


परिवार ने लगाए गंभीर आरोप
बच्चियों के चाचा लक्ष्मीकांत का आरोप है कि, ''रात में जब में फोन पर घटना की जानकारी जिलाधिकारी को दे रहा था, तभी पुलिसकर्मियों ने मुझे धमकाया और इस संबंध में किसी से कुछ नहीं बताने को कहा. उन्होंने जबरन मुझसे ये भी लिखवाया कि बच्चियों की मौत पानी में डूबने से हुई है.'' उन्होंने आरोप लगाया है, ''शवों को निकालने में मदद करने वाले युवकों को भी पुलिस ने रात भर हिरासत में रखा.'' हालांकि, पुलिस ने इससे इनकार किया है. लक्ष्मीकांत ने आरोप लगाया है कि ''पुलिस अपराधियों को बचा रही है और बलात्कार के बाद बच्चियों की हत्या की गई है.''


आरोपों को खारिज किया
वहीं, स्थानीय असोथर थाने के प्रभारी निरीक्षक रणजीत बहादुर सिंह ने बताया कि, ''जिस तालाब से बच्चियों के शव बरामद हुए हैं, उसकी गहराई आठ से दस फीट है.'' उन्होंने बच्चियों के चाचा या अन्य किसी को हिरासत में लिए जाने के आरोपों को खारिज किया है.


सोशल मीडिया पर डाला वीडियो
परिजनों ने सोशल मीडिया पर उस तालाब का वीडियो डाला है, जिससे बच्चियों के शव बरामद हुए हैं. वीडियो में दिख रहा तालाब बमुश्किल डेढ़ से दो फीट गहरा पानी और कुछ सिंघाड़े के पौध दिखाई दे रहे हैं.

चने का साग तोड़ने गईं थीं बच्चियां
गौरतलब है कि, असोथर थाना क्षेत्र के एक गांव में सोमवार देर रात जंगल में स्थित एक तालाब से दो दलित बच्चियों (आठ और 12 साल आयु की) के शव संदिग्ध अवस्था में पानी में तैरते हुए बरामद हुए थे. दोनों बच्चियां सोमवार दोपहर खेतों में चने का साग तोड़ने गईं थीं.



ये भी पढ़ें:



लखनऊ यूनिवर्सिटी के सौ साल पूरे होने पर स्मारक सिक्का जारी करेंगे PM मोदी


रायबरेली: मरणासन्न अवस्था में युवक को घर छोड़कर गए दोस्त, परिजन बोले- साथियों ने की हत्या