Fatehpur Jail News: भारत में भले ही लोकसभा चुनाव के पहले हिंदू मुस्लिम की बात हो रही हो, मंदिर मस्जिद की बात हो रही हो, लेकिन हर भारतवासी चाहे वह किसी भी धर्म या संप्रदाय से हो सिर्फ और सिर्फ अमन चाहता है. भारत के विकास और सद्भाव में योगदान इसका सबसे जीता जागता उदाहरण है. 


यूपी का फतेहपुर जेल जहां से एक मुस्लिम बंदी ने अपने महीने भर की कमाई श्री राम जन्मभूमि मंदिर के लिए दान कर दी, तो वहीं से मजहब की बेड़ियां तोड़ते हुए बंदियों और कैदियों ने जो संदेश दिया है. वह हर किसी को समझने की जरूरत है. आज जब वहां के सिले हुए झोले में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट गणमान्य व्यक्तियों को प्रसाद दे रहा है, तो चर्चा फतेहपुर जेल के कैदियों की भी हो रही है.


45 दिनों का कमाई किया दान
ऐसे लोग जो अलग-अलग गुनाहों की सजा जेल में रहकर बिता रहे हैं और समाज उन्हें अपराधी का तगमा दे रहा है, उन्हें कैदियों और बंदियों को सबसे बड़ा सबक सिखा दिया है. वह सबक है मानवता भाईचारे और आपसी सौहार्द का. फतेहपुर जेल के एक कैदी जियाउल हसन उर्फ जलालुद्दीन ने श्री राम जन्मभूमि मंदिर में विराजमान रामलला की आस्था में जेल में कमाए 45 दिनों का 1075 रुपये का मेहनताना दान कर दिया, तो वहीं इसी जेल के मुस्लिम और हिंदू बंदियों और कैदियों ने राम रामनवमी कपड़े के प्रिंटेड 1000 से अधिक थैले तैयार कर अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को भेजे है.


जेलर के माध्यम से दिया दान
फतेहपुर जेल में बंद अकरम हो, एहसान हो, राजू हो या फिर पूनम सभी वह कुछ कर रहे हैं जो सभ्य समाज को आईना दिखाता है. यह संदेश भी देता है कि जरूरत पड़ने पर हर कोई देश के साथ खड़ा है. उसके सद्भाव के साथ खड़ा है. उसके भाईचारे के साथ खड़ा है और भारत को मजबूत और एकजुट देखना चाहता है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने कहा कि जलालुद्दीन को जेल में कमाए 45 दिनों में 1075 रुपये मिला. उसने जेलर के माध्यम से उसको दान दे दिया. उसके बाद फतेहपुर वालों ने 1000 झोला अपनी मेहनत से बना कर ट्रस्ट में भेजा है, जिसमें मंदिर की तस्वीर छपी हुई है.


झोला भेज कर अपनी आस्था व्यक्त की
उन्होंने का कि यह प्रयास किया है कि जेल में बंद लोगों ने भगवान के प्रति अपना सहयोग किया और अपनी आस्था व्यक्त की. क्योंकि जेल में बंद वे लोग राम मंदिर नहीं आ सकते. तो झोला भेज कर अपनी आस्था व्यक्त की है. हिंदू मुस्लिम की बात जो है वह आज के राजनीतिक लोग हैं वह करते हैं. हमारे यहां हिंदू मुस्लिम की कोई बात ही नहीं है. प्रेम से मुसलमान भी दर्शन करते हैं और हिंदू भी आते हैं, सिख भी आते हैं, ईसाई भी आते हैं. भगवान के दरबार में सब बराबर है. चाहे जिस रूप में उसको आप देखें, आपकी भी आस्थाएं आप भी दर्शन करिए स्वागत है. 


प्रसाद देने में किया जाएगा प्रयोग
प्रकाश गुप्ता ने कहा कि हमारे लिए सब बराबर है. भगवान के यहां सब बराबर है, चाहे कहीं भी जाइए, मंदिर में जाइए, मस्जिद में जाइए, गुरुद्वारे में जाइए, कहा बंटवारा है, कहा अलग है, पैदा होते ही कौन सी जाती हो जाती है, जब बच्चा पैदा होता है उसे नहीं पता होता है कि हम किस जाति में जा रहे हैं. जो जहां पलता है उसको वही पता होता है कि हमें इन्होंने ही पाला है. हम इन्हीं के बच्चे हैं. वह भले ही मुसलमान का बच्चा हो. हिंदू का बच्चा हो. जो पलता हो उसी मजहब की बात करेगा. हिंदू का बच्चा हिंदू समाज को जानेगा, मुस्लिम का बच्चा मुस्लिम समाज को जानेगा, यह तो हम लोगों ने जाति-पाति का बना दिया है. वह बैग जो दिए गए हैं उसे बैग को प्रसाद वगैरह देने के लिए प्रयोग किया जाएगा.


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