यूपी के फतेहपुर जिले में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से जहां लोगों ने पलायन कर जंगलों में रुकने का सहारा बना लिया है. पीड़ित इलाके के वासियों से बातचीत की गई जहां उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि प्रशासन की तरफ से किसी प्रकार की उन्हें कोई मदद नहीं मिली.
तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि किस तरह से बाढ़ ने जहां तबाही मचाई वहीं तिलहन की हजारों बीघा फसल नष्ट हो गई. यमुना नदी अभी भी 100 मीटर में बह रही है, और कई रास्ते पूरी तरह ब्लाक है. वहीं एक दर्जन गांव में अभी भी पानी भरा हुआ है जहां लोग अपने-अपने घरों में कैद हैं. आलम ये है कि यहां ना तो जिला प्रशासन पहुंच रहा है और ना ही उन्हें कोई सरकारी मदद मिल रही है.
ईंट का चूल्हा जलाकर पेट भर रहे हैं- ग्रामीण
जबकि जिला प्रशासन के दावे हैं कि बाढ़ पीड़ितों की बेहतर मदद की जा रही है लेकिन एक परिवार बाढ़ की हकीकत स्वयं बयां करत हुए कहा कि, किसी तरह ईंट का चूल्हा जलाकर पेट भर रहे है. ललौली से कोर्रा मार्ग की दूरी लगभग 89 किलोमीटर दूर जहां जाने का सिर्फ एक ही साधन है मात्र सड़क लेकिन वह भी इस बाढ़ में विलुप्त हो गई है. जबकि बाढ़ ग्रास इलाकों के लोगों की माने तो कल रात से यमुना नदी का जलस्तर कम हुआ है लेकिन बर्बादी के आलम ने उन्हें और उनके मवेशियों को खाने पीने की सामग्री सब बहाकर कर रख दिया है.
75 प्रतिशत फसल नष्ट हो गई है- ग्रामीण
अब बात करते है पलटू का पुरवा की जहां तो सबसे ज्यादा नुक्सान हुआ है यहां लगभग हजारो बीघा तिल, उरद और अरहर की फसल नष्ट हो गई है. यहां किसानों से बात की तो उनका कहना था कि इस फसल की बर्बादी में 75 प्रतिशत फसल नष्ट हो गई है और उन्हें सरकार उचित मुआवजा दे दें तो शायद उनके जख्मो में मलहम का काम हो जाए. वहीं अब बात करते है चिल्ला पुल से सटे गांव की जहां यमुना नदी ने सब कुछ तबाह कर दिया है. अब घरों को छोड़ सड़क में आशियाना बनाकर रहने को मजबूर हैं.
वहीं ललौली में बने राहत कैम्प की बात करें तो मात्र कुछ ही परिवार रुका हुआ है जिसे प्रसासन द्वारा खाने पीने की सामग्री दी जा रही है. राहत भरी बात यह है कि यमुना नदी का जलस्तर घटने से लोगों ने राहत की सांस जरूर ली है और बांदा फतेहपुर मार्ग को जिला प्रशासन ने खुलवा दिया है.
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