फांसी से पहले मौत का डर...न खाना खाया...न चाय पी..पैर पकड़ कर जिंदगी की भीख मांगने लगे
तिहाड़ जेल के भीतर निर्भया के चारों दोषियों को फांसी दे दी गयी। फांसी की सजा से पहले विनय ने कपड़े बदलने से मना कर दिया और माफी मांगने लगा
![फांसी से पहले मौत का डर...न खाना खाया...न चाय पी..पैर पकड़ कर जिंदगी की भीख मांगने लगे Fear of Death on face of Accused of Nirbhaya फांसी से पहले मौत का डर...न खाना खाया...न चाय पी..पैर पकड़ कर जिंदगी की भीख मांगने लगे](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/9/2020/03/20121514/nirbhayann-270x202.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली, एबीपी गंगा। करीब आ रही मौत का खौफ क्या होता है ये निर्भया के दोषियों के हाव भाव में साफ देखा जा सकता था। देश को हिलाकर रख देने वाले निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले में अंतत: चारों दोषी पवन, विनय, मुकेश और अक्षय को उनके किये की सजा मिल गयी। अदालत में यह मामला फांसी दिये जाने से कुछ देर पहले तक चला।
तिहाड़ जेल प्रशासन से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि फांसी की सजा को लेकर सभी दोषी तनाव में थे। उन्होंने कहा कि गुरुवार को रात को मुकेश और विनय ने खाना खाया था, लेकिन अक्षय ने केवल चाय पी थी। जब कोर्ट में सुनवाई चल रही थी तो विनय रोने लगा था, लेकिन बाकी तीनों बिल्कुल शांत थे। देर रात जब दोषियों को पता चला कि उनकी फांसी अब किसी हालत में नहीं टल सकती है, तो अचानक ही उनके व्यवहार में बदलाव आ गया। तिहाड़ जेल में बंद चारों दोषी खबर मिलते ही बेचैन हो उठे। रात भर दोषियों को नींद नहीं आई। वो बेचैन होकर अपने बैरक में ही टहलते रहे। फांसी का खौफ उनके चेहरे पर दिख रहा था।
सुबह तड़के उठाया गया शुक्रवार तड़के 3.15 पर चारों को इनके सेल से उठा लिया गया, हालांकि, सभी दोषी रात भर जागते रहे। इसके दैनिक क्रियायें परी करने के बाद इनसे नहाने को कहा गया। इसके बाद इनके लिए चाय मंगाई गई, लेकिन किसी ने चाय नहीं पी। फिर आखिरी इच्छा पूछी गई। फिर सेल से बाहर लाने से पहले इन चारों को काला कुर्ता-पजामा पहनाया गया। चारों के हाथ पीछे की ओर बांध दिए गए। इस दौरान दो दोषी हाथ बंधवाने से इनकार कर रहे थे, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई।
रोने लगा विनय, कपड़े नहीं बदले फांसी से पहले दोषियों को नहाने और कपड़े बदलने के लिए कहा गया था। तब विनय ने कपड़े बदलने से इनकार कर दिया। फिर वह रोने भी लगा और माफी मांगने लगा।
इसके बाद ठीक साढ़े पांच बजे पवन जल्लाद ने जेल नंबर-3 के सुपरिटेंडेंट के इशारे पर लीवर खींच दिया। इस दौरान जल्लाद की मदद के लिए तीन जेल कर्मचारी भी मौजूद थे। फांसी के करीब आधे घंटे बाद डॉक्टरों ने चारों दोषियों को मृत घोषित कर दिया। जेल अधिकारी ने बताया कि अगर दोषियों के परिवार वाले उनके शव की मांग करते हैं तो उन्हें सौंप दिया जाएगा, नहीं तो उनका अंतिम संस्कार करवाना हमारी जिम्मेदारी है।
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