दिल्ली, एजेंसी। अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर पांचवें दिन की सुनवाई के दौरान मंगलवार को इस मुद्दे पर बहस शुरू हुई कि क्या इस विवादित स्थल पर पहले कोई मंदिर था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष रामलला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने मस्जिद के निर्माण होने से पहले इस विवादित स्थल पर कोई मंदिर होने संबंधी सवाल पर बहस शुरू की। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तीन न्यायाधीशों की पीठ अपने फैसले में कहा है कि विवादित स्थल पर मंदिर था।



वैद्यनाथन ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस यू खान ने अपने फैसले में कहा था कि मंदिर के अवशेषों पर मस्जिद का निर्माण किया गया। उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

इससे पहले राम लला विराजमान की ओर से ही वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरन ने पीठ से कहा कि उसे अपने समक्ष आये सभी मामलों में पूर्ण न्याय करना चाहिए। संविधान पीठ ने पिछले शुक्रवार को परासरन से जानना चाहा था कि क्या ‘रघुवंश’ राजघराने से कोई अभी भी वहां (अयोध्या) में रहता है। परासरन तत्काल इस सवाल का कोई जवाब नहीं दे सके, लेकिन जयपुर राजघराने की सदस्य और भाजपा सांसद दिया कुमारी ने रविवार को दावा किया कि उनका परिवार भगवान राम के पुत्र कुश के वंश से है।

राजस्थान के राजसमंद से सांसद दिया कुमारी ने कहा, ‘न्यायालय ने जानना चाहा है कि भगवान राम के वंश के लोग कहां हैं? हमारे परिवार, जो उनके पुत्र कुश के वंशज हैं, सहित पूरी दुनिया में भगवान राम के वंश के लोग हैं।’ उन्होंने कहा कि भगवान राम के वंशज दुनिया भर में हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्या विवाद जल्द हल होना चाहिए।

शीर्ष अदालत इस समय अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि इस प्रकरण के तीनों पक्षकारों - सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला - के बीच बराबर बराबर बांटने का निर्देश देने संबंधी उच्च न्यायलय के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही है। इस मामले की चौथे दिन की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने परासरन से जानना चाहा था कि इस मामले में मुद्दई के रूप में ‘जन्म स्थान’ को एक कानूनी तौर पर व्यक्ति कैसे माना जा सकता है, इसके जवाब में वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा था कि हिन्दुत्व में किसी स्थान को मंदिर मानने के लिये वहां देवता की मूर्ति होना जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा था कि हिन्दू किसी एक रूप में ईश्वर की अराधना नहीं करते हैं बल्कि वे ऐसे दैवीय अवतरण की पूजा करते हैं जिसका कोई स्वरूप नहीं है।

इस विवाद को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाने में सफलता नहीं मिलने के बाद न्यायालय छह अगस्त से इसकी रोजाना सुनवाई कर रहा है। हालांकि, मुस्लिम पक्षकार एम.सिद्दीक और आल इंडिया सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सप्ताह के सभी पांच कार्य दिवसों पर इसकी सुनवाई किये जाने पर आपत्ति की थी लेकिन संविधान पीठ ने इसे अस्वीकार कर दिया। संविधान पीठ ने सिद्दीक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन को यह भरोसा जरूर दिलाया कि उन्हें बहस की तैयारी के लिये सप्ताह के बीच में विश्राम देने पर विचार किया


वहीं, पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन से कहा था कि वे अगर चाहते हैं तो बीच में छुट्टी ले सकते हैं, लेकिन सुनवाई की अवधि में कोई कटौती नहीं की जाएगी। मामले की सुनवाई रोजाना ही होगी। बता दें कि एक मुस्लिम पक्ष ने सप्ताह में पांच दिन सुनवाई पर विरोध जताया है।इसको लेकर धवन ने पीठ से कहा था कि अगर सप्ताह के सभी दिनों में सुनवाई होती है, तो न्यायालय की सहायता करना संभव नहीं होगा। यह पहली अपील है और इतनी जल्दबाजी में सुनवाई नहीं हो सकती और यह मेरे लिए प्रताड़ना है। इसके जवाब में कोर्ट ने उन्हें कहा कि वे अगर आराम करना चाहें, तो किसी भी दिन कोर्ट को बताकर छुट्टी ले सकते हैं।


कोर्ट में राम के वंशज का सवाल उठने के बाद राजस्‍थान के राजसमंद से बीजेपी सांसद और जयपुर की राजकुमारी दीया कुमारी ने दावा किया है कि उनका राजघराना भगवान राम के पुत्र कुश का वंशज है। दीया ने रविवार को कहा, 'इस दावे का आधार हमारे पास है। हस्तलिपि, वंशावली और दस्तावेज हमारे पोथी खाने में मौजूद हैं।' सांसद ने इन दस्‍तावेजों को भी सार्वजनिक किया है। दीया कुमारी ने राम मंदिर मुद्दे का जल्द समाधान होने की मांग भी की।


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