बीजेपी-सपा ने आखिरी दिन घोषित किये जिला पंचायत अध्यक्ष प्रत्याशी, स्वप्निल वरुण-राजा दिवाकर में टक्कर
कानपुर में आखिरकार सपा और बीजेपी ने अपने पत्ते खोल दिये. बीजेपी ने आखिरी वक्त पर स्वपनिल वरुण को अपना उम्मीदवार बनाया तो सपा ने राजा दिवाकर को उम्मीदवार घोषित कर अपना दांव चला.
कानपुर: कानपुर नगर में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए समाजवादी पार्टी और बीजेपी ने आखिरकार अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए. ये चुनाव भाजपा और सपा दोनों की प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है. इसलिए दोनों ही दलों ने मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं. बीजेपी और सपा में प्रत्याशी को लेकर कई दौर का मंथन चला. बीजेपी में आलम ये रहा कि, भाजपा के पंचायत चुनाव प्रदेश प्रभारी को कई बार बैठक लेने आना पड़ा. शुक्रवार रात तक उम्मीदवार के चयन को लेकर असमंजस बना रहा. इसके बाद आलाकमान के फोन के बाद स्वप्निल वरुण को भाजपा का प्रत्याशी बनाया गया. BJP के प्रत्याशी घोषित करने के बाद ही सपा ने अपने पत्ते खोले और राजा दिवाकर को जिला पंचायत अध्यक्ष प्रत्याशी बना दिया.
उम्मीदवार को लेकर बीजेपी विधायकों में थी जोर आजमाइश
कानपुर जिला पंचायत अध्यक्ष पद का प्रत्याशी घोषित न हो पाने के पीछे घमासान चल रहा था. यूपी सरकार के कद्दावर कैबिनेट मंत्री सतीश महाना और बिठूर से विधायक अभिजीत सिंह सांगा इसे लेकर आमने सामने थे. दोनों ही विधायकों की विधानसभा में ग्रामीण क्षेत्र आता है. ज़ोर आजमाइश भी इसी बात को लेकर रही, और दोनों अपने खास को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने में आमने सामने थे. लेकिन बाजी सतीश महाना के हाथ लगी. महाना को पार्टी संगठन ने कानपुर जिला पंचायत का प्रभारी बनाकर भेजा था. यही बात भारी पड़ी और सांगा अपने उम्मीदवार को जिला पंचायत अध्यक्ष का आधिकारिक प्रत्याशी नहीं बनवा पाए. आखिरी दिन नामांकन प्रक्रिया 11 बजे से 3 बजे तक रहेगी. दरअसल, कानपुर में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव बहुत रोचक होने जा रहा है.
ये है अंक गणित
यहां जिला पंचायत सदस्यों की कुल संख्या 32 है. सबसे ज्यादा 12 सीट सपा के पास जबकि भाजपा को 8 सीट मिली हैं. बसपा के पास 6 और 6 निर्दलीय ज़िला पंचायत सदस्य हैं. हालांकि, बीजेपी का दावा है कि उनके पास बहुमत से ज्यादा 18 सदस्यों का समर्थन है. इसके पीछे निर्दलीय और BSP के समर्थन का दावा कर रहे हैं. जबकि समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष राघवेंद्र सिंह कहते है कि भाजपा सत्ता का दुरुपयोग कर रही है लेकिन अगर ऐसा नहीं संभव हुआ तो ज़िला पंचायत अध्यक्ष उनका ही होगा.
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