जातिगत एनकाउंटर के आंकड़ों से यूपी में ब्राह्मण सियासत को मिली हवा, विपक्ष के हाथ आया बड़ा सियासी मुद्दा
यूपी पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ एनकाउंटर नीति को जबरदस्त तरीके से चलाया. लेकिन पिछले तीन साल के एनकाउंटर के जातिगत आंकड़ों की बात करें तो इनमें 11 ब्राह्मण, 47 अल्पसंख्यक समुदाय के हैं...बहरहाल यूपी में ब्राह्मण पर जारी सियासत अब नई करवट ले सकती है.
लखनऊ: कानपुर बिकरु कांड के आरोपियों के एनकाउंटर से शुरु हुई ब्राह्मणों के नाम पर सियासत के बाद अब यूपी पुलिस के एनकाउंटर की मुहिम राजनीति का नया मुद्दा बन रही है. बीते तीन सालों में अपराधियों के खिलाफ जिस एनकाउंटर की मुहिम से सरकार और पुलिस अपराध खात्मे का दावा कर रही थी उसी एनकाउंटर में सामने आए जातिगत आंकड़ों ने पुलिस के एनकाउंटर में जातिगत एनकाउंटर को हवा दे दी है.
मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालते ही सीएम योगी ने जिस ठोको नीति की उत्तर प्रदेश पुलिस को खुली छूट दी. अपराधियों को उत्तर प्रदेश छोड़ देने या अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहने की नसीहत दी अब वही ठोको नीति या पुलिस के एनकाउंटर मुहिम सियासी मुद्दा बन रही है. ब्राह्मणों पर हो रहे अत्याचार और एनकाउंटर की आड़ में हत्या के आरोप से पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार घिरी हुई थी, इसी बीच में बीते तीन सालों में सामने आए एनकाउंटर के आंकड़ों ने इस सियासी मुद्दे को और हवा दे दी है. पहले जरा इन आंकड़ों पर नजर डालते हैं.
मार्च 2017 से 9 अगस्त 2020 के बीच एनकाउंटर के आंकड़ें
इस दौरान कुल 124 अपराधी मारे गए.
मारे गए अपराधियों में 47 अल्पसंख्यक समुदाय के थे.
11 ब्राह्मण और 8 यादव मुठभेड़ में ढेर हुए.
बाकी 58 अपराधियों में ठाकुर, वैश्य, पिछड़ी, अनुसूचित जाति, जनजाति के अपराधी थे.
मारे गए 11 ब्राह्मण अपराधियों में
बस्ती में एक बदमाश, प्रदीप पांडेय अगस्त 2018 में मारा गया
लखनऊ में दो अपराधी सुनील शर्मा और राकेश पांडेय को मारा गया.
कानपुर बिकरु कांड में विकास दुबे, अमर दुबे, प्रभात मिश्र, उमाकांत तिवारी समेत 6 लोग मारे गए.
2 अन्य ब्राह्मण अपराधियों का एनकाउंटर भी पूर्वांचल में किया गया.
जिलेवार एनकाउंटर की बात करें तो सबसे ज्यादा 14 एनकाउंटर मेरठ में
मुजफ्फरनगर में-11 सहारनपुर में -9 आजमगढ़ में -7 और शामली में- 5
अपराधी पुलिस की मुठभेड़ में मारे गए
ब्राह्मणों के नाम पर उत्तर प्रदेश में सियासत पहले ही गरमाई थी. पहले विकास दुबे फिर राकेश पांडे और अब एनकाउंटर में यह जातिगत आंकड़े सियासत में लगी आग में पेट्रोल का काम कर रहे हैं.
विरोधी दल जहां एनकाउंटर में मारे गए अपराधियों की जातियों पर उठे सवाल पर सरकार को घेरते हुए आरोप लगा रहे हैं कि योगी सरकार जाति देखकर कार्रवाई कर रही है. मामूली अपराधी को गुंडा एक्ट और गैंगस्टर एक्ट लगाकर रातों-रात इनाम रखती है और एनकाउंटर कर देती है.
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