एबीपी गंगा, दीपिका पादुकोण की स्टारर फिल्म 'छपाक' जल्द ही एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी का खुलासा करेगी। निर्देशक मेघा गुलज़ार ने दिल्ली में एक शो के आयोजन की घोषणा की है। हाल ही में लक्ष्मी ने अपने इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर शेयर करते हुए लिखा कि अपनी 14 साल की दर्दनाक यात्रा को याद किया। लक्ष्मी ने खुद की एक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर साझा की और एक अप्रिय और मौत के बारे में एक नोट लिखा जिसमें एक यात्रा का अनुभव हुआ। उसने लिखा कि अब 14 साल हो गए हैं और इन सभी सालो में उसके जीवन में बहुत सारी चीजें बदली है। कुछ चीजें अच्छी थीं जबकि कुछ इतनी खराब थीं कि वह उनके बारे में सोचते हुए भी डर जाती थीं। लोग सोचते हैं कि एसिड अटैक का घाव किसी के जीवन में एकमात्र दुःख है, लेकिन वो नहीं जानते कि एसिड अटैक सर्वाइवर के परिवार पर भी इसका प्रभाव पड़ता है और यह उनके जीवन को पूरी तरह से बदल देता है। हमलावर केवल एक बार हमला करता है, लेकिन समाज हमला करता रहता है और किसी को जीवित नहीं रहने देता है। वह जानती है कि यह तारीख उसके जीवन में हर साल आएगी और वह हर साल इस बारे में सोचकर बुरा महसूस करेगी। उस समय उसके भाई और पिता उसके साथ थे, लेकिन अब वह यहां नहीं हैं। वह इस तारीख के बारे में सोचकर डर जाती है और आने वाले सालो में उसके लिए क्या आ रहा है। वह कभी नहीं चाहती कि किसी और ने जो कुछ किया है, उसे भुगतना पड़े। वह सिर्फ 15 साल की थी और अपने माता-पिता से अपनी भावनाओं के बारे में बात नहीं कर सकती थी और मेरी चुप्पी का फायदा उस समय हमलावर ने उठाया था। अपनी पोस्ट के माध्यम से, वह अपील करना चाहती है और सभी माता-पिता के लिए वहाँ पहुँचें और उनसे अपने बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करने का अनुरोध करें। और सभी बच्चों को अपने माता-पिता के साथ दोस्ताना व्यवहार करने के लिए।









इंस्टा पर शेयर करते हुए लिखती है 'आज मेरे अटैक को 14 साल हो गए है, इन 14 सालों में बोहुत कुछ बदला है, बोहुत सारी चीज़ें अच्छी हुई बोहुत सारी चीज़ें बुरी जिसके बारे में सोच के भी डर लगता है, लोगों को लगता है, ऐसिड अटैक हुआ है ये सबसे बड़ा दुःख है, सबको यही दिखता है, जब कोई भी अटैक होता है , ना सिर्फ़ हमारी पूरे परिवार की ज़िंदगी बदल जाती है, अचानक से एक नया मोड़ आ जाता है, क्यूँकि वो इंसान एक बार अटैक करता है, सोसाइटी बार बार अटैक करती है, जीने नही देती जिससे जिसके ऊपर क्राइम हुआ है, वो या परिवार का कोई एक व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है, मुझे पता है हर साल ये तारिख मेरे जीवन में आएगी और आज का दीन उस दिन जैसा ही तकलीफ़ भरा होता है, उस वक़्त तो पापा भाई भी थे पर आज वो भी नही है, हर 22 अप्रैल मेरे लिए कुछ नई तकलीफ़ देती है, जिसके बारे में सोच के भी डर जाती हूँ, आख़िर मैं भी इंसान हु मुझे भी तकलीफ़ होती है, मैं कभी नही चाहती जो मेरे साथ हुआ है वो किसी और के साथ हो, जब मैं 15 साल की थी तो अपने पापा मम्मी से कुछ नही बोल सकी मन में डर था कही ना कही की अगर कहा तो मुझे ही ग़लत बोलेंगे और वो चुपी की वझा से उस क्रिमिनल ने फाएदा उठाया आज इस पोस्ट को हर कोई पड़ेगा, और मैं चाहती हूँ इस पोस्ट से आप लोग एक सबक़ ले जो माँ बाप है वो अपने बच्चों के साथ दोस्ती करे ताकि वो अपने मन की बात आपको बता सकते क्यूँकि जब भी कोई दिक़्क़त होती है माँ बाप को ही ज़्यादा परेशान होना पड़ता है, और जो बच्चे है, वो भी अपने मम्मी पापा के साथ दोस्ती करे, अपने मन की बात आप अपने मम्मी पापा को बताइए ताकि जो भी दिक़्क़त हो वो साथ मिलकर ठीक कर सके,याद रहे अटैक शिरफ एक पर्सन पर नही पूरे परिवार पर होता है '