बात तब की है जब सलीम खान और जावेद अख्तर की जोड़ी हेमा मालिनी की फिल्म सीता और गीता का स्क्रिप्ट लिख रही थी, इसी फिल्म में एक 16 साल की लड़की जिसकी नाम हनी ईरानी थी एक अहम किरदार निभा रही थी. ये फिल्म हनी की पहली तो नहीं मगर बतौर अदाकार आखिर फिल्म जरूर रही. फिल्म के दौरान हनी और जावेद एक-दूसरे को पसंद करने लगे और शादी कर ली. शादी तो कर ली लेकिन जब बच्चे बड़े होने लगे तो उनकी जिंदगी में शबाना आज़मी की एंट्री हो गई और हनी से अलग हो गए. जावेद अख्तर से अलग होकर हनी ने अपने बच्चों, फरहान और जोया अख्तर की परवरिश अकेले ही की. उन दिनों हनी की आर्थिक स्थिती इतनी खराब थी कि साड़ियों की कढ़ाई करके वो अपना गुज़ारा करती थीं. अकेली मां का दुख क्या होता है वो ये अच्छी तरफ समझती थीं इसीलिए हनी ने बिनब्याही मां पर एक फिल्म की कहानी लिखी जिसका नाम था, 'क्या कहना'. आज की इस स्टोरी में हम प्रीति जिंदा की इसी फिल्म के बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताएंगे.



शायद आपको पता होगा कि फिल्म 'क्या कहना' प्रीतिं जिंटा की डेब्यू फिल्म होने वाली थी लेकिन इस फिल्म को बनने में काफी समय लग रहा था, जिसके चलते इसी बीच उन्होंने 'दिल से' और 'सोल्जर' जैसी फिल्मों में काम किया. डायेक्टर कुंदन शाह के लिए भी ये फिल्म काफी अहम रही, क्योंकि इस फिल्म को बनाने में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. इस फिल्म की कहानी को बहुत से प्रड्यूसर्स ने बनाने से इंकार कर दिया था लेकिन फिर भी शाह इस फिल्म को पूरा करने में कामयाब रहे. 'क्या कहना' बनी भी और हिट भी हुई. फिल्म की कहानी के साथ-साथ इसमें राजेश रोशन का संगीत भी दर्शकों को खूब पसंद आया था, साल 2000 में 'क्या कहना' के गाने टॉप 10 में शामिल हुए थे.


इस फिल्म में प्रीति जिंटा के साथ सैफ अली खान और चंद्रचूड़ सिंह अहम किरदार में नजर आए थे, मगर क्या आप जानते थे कि मेकर्स फिल्म के बीच में से ही चंद्रिचूड़ सिंह को निकालना चाहते थे मगर वो चाहकर भी ऐसा कर नहीं सके, 'क्या कहना' के मेकर्स चंद्रचूड़ की जगह सलमान खान को लेना चाहते थे जिसके लिए सलमान ने हां भी कह दी थी. दरअसल, हुआ यूं कि कुंदन शाह ने चंद्रचूड़ सिंह कास्ट कर लिया था, चंद्रचूड़ की शुरूआती फिल्मों ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन 'क्या कहना' के वक्त तक उनका स्टारडम काफी कम हो चुका था. हालांकि फिल्म की आधी शूटिंग हो चुकी थी उसके बावजूद भी फिल्म के निर्माता रमेश तौरानी ने सलमान खान से चंद्रचूड़ वाले किरदार के लिए बात भी कर ली थी और सलमान मान भी गए थे,लेकिन सिनटा जो कलाकारों की संस्था है उसका ये नियम है कि अगर किसी फिल्म में किसी एक्टर की जगह दूसरे एक्टर को लिया जाता है तो पहले कलाकार का एनओसी देना पड़ता है. चंद्रचूड़ ने ऐसा करने से इंकार कर दिया और एनओसी नहीं दी, फिर मजबूर होकर फिल्म के मेकर्स को चंद्रचूड़ के साथ ही फिल्म को पूरा करना पड़ा.



फिल्म 'क्या कहना' की कहानी का पूरा फोकस प्रीति जिंटा पर होता है, ये फिल्म प्रीति के करियर के लिए बेहद खास साबित हुई, हालांकि इससे पहले वो 'दिल से' और 'सोल्जर' जैसी शानदार फिल्मों में काम कर चुकी थीं लेकिन उसके बाद उनकी कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर खास चल नहीं पाई थी, जिसकी वजह से प्रीति का करियर लगातार नीचे की तरफ जा रहा था, लेकिन इस फिल्म ने प्रीति के डूबते करियर को सहारा दिया. 20 साल पहले महिला सशक्तीकरण पर बनी इस फिल्म ने हर किसी को इसकी तारीफ करने पर मजबूर कर दिया. बताया जाता है कि जब ये फिल्म रिलीज हुई थी तब फिल्म में प्रीति की स्पीच के बाद तमाम महिलाओं ने हॉल में खड़े होकर तालियां बजाईं थीं। इतना ही नहीं फिल्म 'क्या कहना' में अपने दमदार अभिनय के चलते प्रीति को उस साल बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड भी मिला था. फिल्म में पहली बार सैफ अली खान भी ग्रे शेड़ में नजर आए थे, उनकी एक्टिंग की भी काफी तारीफ हुई थी.


बताया जाता है कि 20 साल पहले फिल्म 'क्या कहना' पांच करोड़ रुपये की लागत से बनी थी, जिसने 20 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की थी.