प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में कोविड प्रोटोकॉल में लापरवाही बरतने वाले प्राइवेट अस्पतालों पर प्रशासन अब सख्त हो गया है. ऐसे अस्पतालों को अब सील करने व संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही नोटिस जारी करने की भी कार्रवाई की जा रही है. सरकार के निर्देश पर प्रयागराज में पिछले कुछ दिनों में पौने पांच सौ प्राइवेट अस्पतालों व नर्सिंग होम में जांच की गई. इनमें से कई के खिलाफ स्वास्थ्य महकमे में शिकायत भी की गई थी, जबकि बाकी में रूटीन चेकिंग की गईं. जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर ग्रामीण इलाकों के छह अस्पतालों व क्लीनिक को सील कर दिया गया. इनमें से दो के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई है. इसके साथ ही 46 संचालकों को नोटिस भी जारी किया गया है. नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं देने वाले अस्पतालों के खिलाफ आगे भी कार्रवाई की जाएगी.


जिन प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उन पर पॉजिटिव मरीज की सूचना को छिपाने, बिना अनुमति इलाज करने और मेडिकल प्रोटोकॉल का पालन करने के साथ ही अपने हॉस्पिटल्स में कोविड हेल्प डेस्क नहीं बनाने का आरोप है. जिले के सीएमओ डॉ जीएस बाजपेई के मुताबिक़ जबकि इसके लिए प्राइवेट अस्पताल के संचालकों व डॉक्टर्स को कई बार न सिर्फ सख्त हिदायत दी गई है, बल्कि उनकी ट्रेनिंग भी कराई गई है. स्वास्थ्य विभाग ने दो हफ्ते पहले भी कुछ अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की थी, लेकिन उसके बावजूद प्राइवेट हॉस्पिटल्स की मनमानी लगातार जारी थी. जिन छह प्राइवेट अस्पतालों को सील किया गया है, उनमें मुलायम सिंह यादव का शहर से करीब पचास किलोमीटर दूर मऊआइमा के गदियानी गांव में चलने वाला हॉस्पिटल भी शामिल है. गंभीर लापरवाही बरतने के आरोप में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ मऊआइमा थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई है. मुलायम यादव पर कोविड मरीज की जान खतरे में डालने का गंभीर आरोप है.


सरकारी अमला अब सख्ती बरतने लगा है


प्रयागराज के सीएमओ डॉ जीएस बाजपेई के मुताबिक़ जिन अस्पतालों को सील किया गया है, उनमें से कई ने अनुमति न होने के बावजूद कोरोना मरीजों को अपने यहां भर्ती किया या फिर पॉजिटिव मरीजों के बारे में प्रशासन को जानकरी नहीं दी और वह बाहर घूमते हुए संक्रमण फैलाते रहे. कई ने मरीज की हालत बिगड़ने पर प्रशासन को जानकारी देते हुए उनका अस्पताल सरकारी अस्पतालों में कराने की गुहार लगाई.


सीएमओ डॉ बाजपेई के मुताबिक़ इन प्राइवेट अस्पतालों के संचालकों व डॉक्टर्स की वजह से ही प्रयागराज में बड़ी संख्या में कोरोना मरीजों की मौत हुई है. अगर इन्होंने इनके संक्रमित होने की जानकारी होते ही प्रशासन को जानकारी दे दी होती, तो वक्त पर सही इलाज होने से उनकी हालत गंभीर न होती और कई लोगों की जान बच जाती. सीएमओ के मुताबिक़ इस तरह की कार्रवाई अब लगातार जारी रहेगी.


कहा जा सकता है कि देश इन दिनों कोरोना की महामारी से जूझ रहा है. तमाम डॉक्टर्स अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना पीड़ितों की ज़िंदगी बचाने में लगे हुए हैं, लेकिन कुछ लालची मेडिकल स्टाफ इस आपदा को भी अवसर में बदलने से बाज नहीं आ रहे हैं. पैसे कमाने के चक्कर में ये न सिर्फ कोरोना के संक्रमण को और बढ़ाने में मददगार बन रहे हैं, बल्कि कई पीड़ितों व संदिग्धों की ज़िंदगी से खिलवाड़ करने में भी नहीं हिचक रहे हैं. प्रयागराज में प्राइवेट हॉस्पिटल या नर्सिंग होम चलाने वाले कई डॉक्टर्स व दूसरे लोग भी इस मुश्किल वक्त में अपनी जेबें भरने के लिए लोगों का जीवन दांव पर लगाने में नहीं हिचक रहे हैं. ऐसे बेरहम नर्सिंग होम संचालकों पर प्रयागराज का सरकारी अमला अब सख्ती बरतने लगा है.


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