प्रयागराज: योगी सरकार के धर्मांतरण अध्यादेश के तहत मुजफ्फरनगर में दर्ज हुई एफआईआर के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट की तरफ से गिरफ्तारी पर लगाई रोक लगने के बाद आरोपी नदीम को बड़ी राहत मिली है. ये पहला मौका था जब धर्मांतरण अध्यादेश की धाराओं में दर्ज एफआईआर पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.


आरोपी पक्ष को राहत
पहले ही मुकदमे में कोर्ट ने आरोपी पक्ष को राहत देते हुए मामले में यूपी सरकार से जवाब भी मांगा है. सरकार को अब दो हफ्तों में अपना जवाब दाखिल करना होगा. मामले की अगली सुनवाई सात जनवरी को होगी. दर्ज एफआईआर के साथ ही अध्यादेश की वैधानिकता पर भी कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है. मामले की सुनवाई जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने की.


शादी का झांसा देकर धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश
दरअसल, मुजफ्फरनगर के एक शख्स ने नदीम और सलीम नाम के दो युवकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 504 और 506 के साथ ही नए अध्यादेश की धारा 3/5 के तहत भी केस दर्ज किया गया था. शख्स का आरोप था कि नदीम और सलीम उसकी पत्नी को बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बना रहे हैं. इतना ही नहीं ये आरोप भी था कि शादी का झांसा देकर धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की जा रही है.


आरोपी ने हाईकोर्ट में दाखिल की अर्जी
इस पूरे मामले को लेकर मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी. जिसके बाद आरोपी नदीम ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. अर्जी में अध्यादेश को चुनौती देने के साथ ही एफआईआर रद करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई थी.



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