लखनऊ, एबीपी गंगा। टीएमसी सांसद और बांग्ला फिल्म अभिनेत्री नुसरत जहां के सिंदूर लगाने और वंदे मातरम बोलने पर उलेमा के एतराज को लेकर उठा विवाद अभी थमा भी नहीं था कि एक और नई बहस शुरू हो गई है। इस बार बहस 'दंगल गर्ल' जायरा वसीम के एक्टिंग को अलविदा कहने पर हो रही है।
दरअसल जायरा ने सोशल मीडिया पर यह जानकारी शेयर की है कि अब वह अभिनय छोड़ रही हैं क्योंकि कुछ साल पहले वह भटक गई थीं और एक्टिंग की वजह से इस्लाम से दूर होती जा रही थी इसलिए अब उन्होंने फैसला किया है कि वह एक्टिंग को छोड़ देंगी।
जायरा के इस ऐलान के बाद अब अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। लखनऊ के ऐशबाग इलाके में बने दारुल उलूम फिरंगी महल इस्लामिक सेंटर से जुड़े लोगों का कहना है कि जायरा वसीम ने अभिनय अपनी मर्जी से छोड़ा है तो ऐसे में किसी को भी इस पर ऐतराज नहीं होना चाहिए।
इस्लामिक सेंटर के स्कॉलर और मुस्लिम धर्म गुरू मौलाना सूफियान निजामी का साफ कहना है कि हर धर्म में अपनी तरह से जीने की पूरी आजादी है और अगर कोई अपनी मर्जी से कोई फैसला लेता है तो उसका सम्मान होना चाहिए। हालांकि सूफियान निजामी का ये भी कहना है कि इस्लाम में ऐसे अभिनय की मनाही है जहां अश्लीलता और फूहड़ता का प्रदर्शन हो। लेकिन देशभक्ति और प्रेरणा देने वाली फिल्में अगर कोई करता है तो उसकी मनाही नहीं है। मौलाना का साफ कहना है कि अगर अभिनेत्री ने एक्टिंग किसी के दबाव में छोड़ी होती तो जरूर इस पर सवाल उठने चाहिए थे।
गौतलब है कि दारुल उलूम फिरंगी महल इस्लामिक सेन्टर की पहचान हिंदुस्तान के सबसे पहले मदरसे के तौर पर है, आज से करीब 300 साल पहले इसकी नींव पड़ी थी, औरंगजेब के वक्त अल्लामा निज़ामुद्दीन फिरंगी महली ने इसकी शुरुआत की थी।