Firozabad News: फिरोजाबाद की अखिलेश कुमारी बनीं सिद्धेश्वरी साध्वी,12 साल तक करेंगी हनुमान चालीसा का अखंड पाठ
UP News: फिरोजाबाद की अखिलेश कुमारी ने बागेश्वर धाम से प्रेरित होकर अपना नाम बदलकर सिद्धेश्वरी साध्वी रख लिया है. वह 12 साल तक लगातार बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगी.
Firozabad News: उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के विजयपुर गांव की रहने वाली 24 वर्षीय अखिलेश कुमारी ने अध्यात्म की राह पकड़ते हुए अपना नाम बदलकर सिद्धेश्वरी साध्वी रख लिया है. उन्होंने 12 साल तक लगातार बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करने का संकल्प लिया है. अखिलेश कुमारी को बागेश्वर धाम से प्रेरणा मिली है. सिद्धेश्वरी साध्वी ने बताया कि उन्होंने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री से प्रेरणा ली. पहली बार 2022 में बागेश्वर धाम गईं और फिर 2023 में हनुमान जयंती के दिन पैदल अखंड ज्योति लेकर वहां पहुंची. पंडित धीरेंद्र शास्त्री से मुलाकात के बाद उनका अध्यात्म की ओर झुकाव और प्रबल हो गया. घर छोड़कर कुटिया में साधना करने का संकल्प लिया.
उन्होंने गांव के बाहर खेत में अपनी एक कुटिया बना ली है और घर-परिवार को त्यागकर 7 नवंबर 2024 से हनुमान चालीसा का अखंड पाठ शुरू कर दिया. उनका कहना है कि वह प्रतिदिन एक समय दूध और एक सेब खाकर साधना कर रही हैं. इस दौरान उन्होंने अन्न का त्याग कर दिया है. काफी नाराजगी के बाद परिवार का साथ मिला है. शुरुआत में परिवार ने उन्हें रोकने की कोशिश की, काफी नाराज हुए लेकिन अब परिवार उनके फैसले से संतुष्ट है. उनकी मां ने बताया कि उन्हें लगता है कि यह सब भगवान श्रीराम की कृपा है.गांव में राम मंदिर निर्माण की इच्छा है .
बागेश्वर धाम और धीरेंद्र शास्त्री की तस्वीरें लगाई
सिद्धेश्वरी साध्वी का सपना है कि वह अपने गांव में एक भव्य राम मंदिर बनवाएं. उन्होंने अपनी कुटिया में बागेश्वर धाम और धीरेंद्र शास्त्री की तस्वीरें लगाई हैं और एक छोटा हनुमान मंदिर भी बनाया है.निष्ठा और साधना का अनुकरणीय उदाहरण साध्वी है.सिद्धेश्वरी साध्वी का जीवन उन लोगों के लिए प्रेरणा बन रहा है जो अध्यात्म और भक्ति की राह पर चलना चाहते हैं. उनका समर्पण दिखाता है कि ईश्वर की आराधना के लिए अडिग विश्वास और दृढ़ निश्चय ही सबसे बड़ी पूंजी है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड जाने वाले टूरिस्ट्स के लिए बुरी खबर! बढ़ जाएंगे होम स्टे के रेट्स! धामी सरकार ले सकती है ये फैसला