लखनऊ, एबीपी गंगा। 2019 की अग्निपरीक्षा में कौन बाजी मारेगा और कौन मुंह की खाएगा? इसका फैसला अब मतदाताओं को करना है। इस बीच सभी राजनीति दल जीत का स्वाद चखने की हर संभव कोशिश में जुटे हैं। बीजेपी का विजयरथ रोकने के लिए सालों पुराने गेस्टहाउस कांड के दर्द को भुलाकर मायावती ने भी सपा से गठबंधन कर लिया। तो अखिलेश भी अपनी महत्वाकांक्षाओं को दरकिनार कर हाथी पर सवार हो लिए हैं। इस चुनाव में केवल SP-BSP गठबंधन की ही अग्निपरीक्षा नहीं है, बल्कि सैफई परिवार के रिश्तों का भी इम्तिहान है। ये पहला लोकसभा चुनाव है, जब सपा दो खेमों में बंटकर चुनावी मैदान में उतरी है। ऐसा पहली बार होगा जब यादव कुनबे के शिवपाल सिंह यादव सपा से बगावत कर अपने भतीजे अखिलेश को चुनौती देते दिखेंगे।यादव कुनबे का पारिवारिक महासंग्राम किसी से छिपा नहीं है। खेमे बंट चुके हैं और पत्ते भी खुल चुके हैं। यह भी तय है कि रिश्तों के बंटवारे के बाद वोटों के सेंधमारी का वक्त आ चुका है। कौन होगा किंग...इसका पता तो 23 मई को चलेगा।


रिश्तों की कसौटी....सियासत का महासंग्राम


सबसे ताकतवर सैफई परिवार की अंदरुनी कलह चुनाव परिणाम पर क्या असर डालती है? ये देखना दिलचस्प होगा। जहां समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाने वाली फिरोजाबाद सीट पर सैफई परिवार की असल अग्निपरीक्षा होगी। परिवार की रार का नतीजा ही है कि फिरोजाबाद में चाचा शिवपाल यादव विरोधियों के रथ पर सवार होकर अपने ही भतीजे अक्षय यादव को चुनावी दंगल में चुनौती देने के लिए सामने आ गए हैं।


2017 को छोड़ दिया जाए, तो प्रदेश में सपा हमेशा हावी रही है। विपक्ष में भी सपा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सपा का चार बार फिरोजाबाद संसदीय सीट पर कब्जा रहा है। 1999 (रामजी लाल सुमन), 2004 ((रामजी लाल सुमन), 2009 (अखिलेश यादव), 2014 (अक्षय यादव) इस सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। इस बार भी तैयारी है, लेकिन सपा अब पुरानी मुलायम वाली सपा नहीं रही। इस सपा में शिवपाल नदारद हैं, जिनका चुनावी रणनीति बनाने में अहम योगदान रहता था।


सुसराल, बेटी-दामाद से लेकर समधी तक...ऐसे बुना रिश्तों का ताना-बाना




  • फिरोजाबाद में शिवपाल सिंह यादव का सुसराल

  • फिरोजाबाद, जसराना, टूंडला, शिकोहाबाद और सिरसागंज...ये पांच विधानसभा आती हैं फिरोजाबाद संसदीय क्षेत्र में

  • पांच विधानसभा क्षेत्रों वाले फिरोजाबाद के शिकोहाबाद और जसराना से उनका समधी का रिश्ता

  • सिरसागंज के भारौल और जसराना विधानसभा क्षेत्र में यादव परिवार की बेटियां ब्याही

  • टूंडला विधानसभा क्षेत्र में भी रिश्तेदारी

  • शिकोहाबाद से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का पढ़ाई और विधायकी का नाता


ये रिश्तों की मजबूत ढोर ही थी, जिसने साइकिल की रफ्तार को बनाए रखा। अब इस ढोर में कड़वाहड़ की गांठ पड़ चुकी है। इसका असर 2017 के विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिला। जिसमें सपा बुरी तरह से हारी और बीजेपी ने रिकॉर्ड जीत दर्ज कर सपा को सत्ता से बेदखल कर दिया।




  • 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन हुआ

  • 1993 के विधानसभा चुनाव में सपा ने कुल 260 सीटों पर चुनाव लड़ा और 109 पर जीते।

  • बसपा और कांग्रेस के समर्थन से मुलायम राज्य के मुख्यमंत्री बने। इस चुनाव में फिरोजाबाद की चार सीटों पर सपा ने अपना परचम लहराया था।


2014  में पहली बार चुनावी मैदान में कूदे अक्षय, जीते 


2014 के आम चुनाव में सपा के महासचिव प्रो.रामगोपाल वर्मा ने अपने बेटे अक्षय यादव को फिरोजाबाद से प्रत्याशी बनाया। पहली बार अक्षय चुनावी मैदान में उतरे और खुद को प्रूव करते हुए मोदी लहर में भी सीट को बचाया। इस बार फिर वे सपा की टिकट पर चुनावी मैदान में हैं, लेकिन उन्हें चुनौती देने के लिए सामने चाचा शिवपाल यादव हैं। जो अपनी अलग पार्टी बना चुके हैं (प्रगतिशील समाजवादी पार्टी)। ये भी सच है कि सपा में नंबर दो का रुतबा रखने वाले शिवपाल यादव का फिरोजाबाद में हमेशा दखल रहा है। ऐसे में ये मुकाबला वाकई दिलचस्प होगा। 2019 के रण में केवल सैफई परिवार के रिश्तों की ही अग्निपरीक्षा नहीं है, बल्कि पार्टी के वफादारों का भी इम्तिहास का दौर है।


असली समाजवादी की जंग


अखिलेश और शिवपाल का खेमा...दोनों ही खुद को असली समाजवादी बताने में जुटे हैं। परिवार की जंग अब असली और नकली समाजवादी की जंग में तब्दील हो गई है। पारिवारिक कलह का असल देखिए...चुनावी रण में यादव ही यादव के खिलाफ च्रकव्यूह रच रहे हैं।




  • प्रो.रामगोपाल यादव अपने बेटे अक्षय कुमार का चुनावी मोर्चा संभाले हैं...यानी शिवपाल के खिलाफ चुनाव प्रचार

  • उधर, शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव पिता के लिए चुनाव प्रचार में जुटे हैं।


फिरोजाबाद सीट: SP गठन के बाद हुए लोकसभा चुनाव


लोकसभा चुनाव                            पार्टी                       प्रत्याशी


1996                                               बीजेपी                प्रभूदयाल कठेरिया


1998                                               बीजेपी                प्रभूदयाल कठेरिया


1999                                               सपा                   रामजीलाल सुमन


2004                                              सपा                  रामजीलाल सुमन


2009                                               सपा                 अखिलेश यादव


2014                                                सपा                  अक्षय यादव


2014 का चुनाव रिजल्ट


प्रत्याशी                                          पार्टी                          मत 


अक्षय यादव                                        (सपा)                    534583


एसपी सिंह बघेल                               (बीजेपी)                  420524


विश्वदीप सिंह                                    (बीएसपी)                 118909


अतुल चतुर्वेदी                                    (कांग्रेस)                    7447