UP News: उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद (Firozabad) में सन 1981 में 10 अनुसूचित जाति के लोगों की निर्मम हत्या के आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही 55 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. वहीं जुर्माना नहीं भरने पर जेल में 13 महीने और रहने होंगे. फिरोजाबाद के जिला जज हरवीर सिंह ने यह फैसला सुनाया. पूरा मामला थाना शिकोहाबाद के ग्राम साडूपुर का है, 10 अनुसूचित जाति के लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी. दो लोग घायल भी हुए थे. इसमें दस आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी.


जब यह हत्याकांड हुई थी, उस समय शिकोहाबाद थाना मैनपुरी जिले में था. साल 1989 में फिरोजाबाद जिला घोषित होने के बाद शिकोहाबा इसमें शामिल हुआ था. पुलिस ने जांच में दस आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी लेकिन मुकदमा चलने के दौरान नौ आरोपियों की मौते हो गई. वहीं एक आरोपी 90 साल के गंगा दयाल, पुत्र लज्जाराम, निवासी गढ़ी दानसहाय, थाना शिकोहाबाद को दोषी पाते हुए सजा सुनाई गई. इसमें शासन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव उपाध्याय ने पैरवी की.


रेलवे कर्मचारी ने दी थी थाने में सूचना


राजीव उपाध्याय ने बताया कि 1981 में साडूपुर गांव में एक हिंसा हुई थी, जिसमें निर्मम रूप से 10 लोगों की हत्या कर दी गई थी और दो लोग घायल हुए थे, जो महिलाएं थी. हत्या के बाद इसकी जानकारी प्रधान ने रेलवे कर्मचारी को दी. रेलवे कर्मचारी ने शिकोहाबाद थाने में पुलिस को टेलीफोन से सूचना दी, उस आधार पर 302,307 में मुकदमा पंजीकृत हो गया, फिर जांच हुई. जांच में 10 लोग आरोपी बनाए गए. मैनपुरी उसका विचारण हुआ. फिरोजाबाद जिला बनने के बाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद यहां ट्रांसफर हो गया.


जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि फिरोजाबाद में विचारण के दौरान नौ लोगों की मौत हो गई. गंगा सहाय नाम का आरोपी जीवित था, जिसे जिला जज हरवीर सिंह ने आजीवन कारावास और 55 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. उसे जेल भेज दिया गया है. घटना के बारे में लोगों ने बताया था कि कोई राशन डीलर थे, उनकी शिकायत इन्होंने कर दी थी, उसी वजह एक जातीय उन्माद पैदा हो गया और 10 लोग मार दिए गए, जो निर्दोष थे.


प्रत्यक्षदर्शी ने क्या बताया?


प्रत्यक्षदर्शी प्रेमवती (उस समय घायल हुई महिला) ने बताया कि आते ही मारते हुए चले गए. कुछ भी नहीं हुआ था. बच्चे निर्दोष मारे गए. 10 लोग मारे गए और दो घायल हुए थे. उस समय जो सरकार ने वायदा किया था, हमारे लिए कुछ नहीं किया. एक मृतक के परिजन शिवधनी ने बताया कि हमारी किसी से कोई रंजिश नहीं थ. तीन लोग आए डॉ. भगीरथ के बारे में पूछा, उसके बाद जो भी सामने आया, उसको गोली मारते हुए चले गए. मेरे भाई, भाभी और चाची को गोली मार दी, इसमें कुल 10 लोग मारे गए थे और 2 घायल हुए थे. आज जो फैसला आया है, उससे सन्तुष्ट हैं.


परिजन महाराज सिंह ने बताया कि उस समय मेरा जन्म नहीं हुआ था लेकिन हमारे बुजुर्ग बताते हैं कि मेरे परिवार के चार लोग मारे गए थे. मेरे पड़ोस में चाचा हैं, उनके 6 लोग खत्म हुए थे. कुल 10 लोगों की हत्या हुई थी. वहीं 2 लोग घायल हुए थे. कोई किसी से रंजिश नहीं थी. 30 दिसंबर 1981 को गांव में पैठ लगती थी. दिन बुधवार था और शाम का समय था. घरों में खाना बन रहा था. उसी समय आरोपी गोली चलाते गए और जो भी मिला उसको मारते चले गए.


परिजनों ने इस बात पर जताया दुख


महाराज सिंह ने कहा कि आज जो कोर्ट का 42 साल बाद फैसला आया है, शासन-प्रशासन को बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं. दुख इस बात का है कि यह फैसला हमारे बुजुर्ग लोग खत्म हो गए हैं, उनके सामने आता तो अच्छा लगता. 9 लोग जो मर गए हैं, उनको भी सजा मिलती. कुल 10 लोगों को सजा मिलनी चाहिए थी, आज एक व्यक्ति को सजा मिली है. घटना का कोई भी कारण नहीं, बिना रंजिश के मार करके चले गए. उस समय विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी थे तो बिजली की सुविधा के लिए बोला गया था लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ.


ये भी पढ़ें- Khap Panchayat Muzaffarnagar: खाप पंचायत में पहलवानों के समर्थन में बोले राकेश टिकैत-'न्याय नहीं मिलता तो पूरे देश में...'