Viral Fever: बीमार बच्चों को अस्पताल में नहीं किया जा रहा है भर्ती, डॉक्टर कह रहे हैं ये बात
Firozabad Viral Fever: फिरोजाबाद (Firozabad) मेडिकल कॉलेज (Medical college) के बाहर जमा हुए लोगों ने आरोप लगाया है कि उनके बच्चों को बुखार है. लेकिन मेडिकल कॉलेज में भर्ती नहीं किया जा रहा है.
Firozabad Medical College: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फिरोजाबाद (Firozabad) जिले में वायरल बुखार (Viral Fever) से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. मेडिकल कॉलेज (Medical college) प्रशासन की मानें तो अभी तक 429 बच्चे बुखार (Fever) से पीड़ित हैं जो बच्चा वार्ड में भर्ती हैं. वहीं, मृतकों की संख्या 57 तक पहुंच गई है. मेडिकल कॉलेज के 100 बेड हॉस्पिटल (बच्चा वार्ड) के बाहर जमा हुए लोगों ने आरोप लगाया है कि उनके बच्चे को बुखार है और मेडिकल कॉलेज में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. बार-बार ओपीडी (OPD) में जाने के लिए कहते हैं. जो यहां से करीब 500 मीटर की दूरी पर है. ओपीडी में भी भारी भीड़ लगी हुई है.
बच्चों को भर्ती नहीं किया जा रहा है
कई महिलाओं ने रोते हुए कहा कि उनके बच्चे बुखार से पीड़ित हैं और डॉक्टर नहीं देख रहे हैं. हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि प्राइवेट हॉस्पिटल में ले जाएं. वहीं, पुरुष भी गोद लिए बीमार बच्चों को दिखाने के लिए परेशान नजर आए. लोग बार-बार आरोप लगाते वजर आए कि उनके बीमार बच्चों को मेडिकल कॉलेज में भर्ती नहीं किया जा रहा है.
झोलाछाप डॉक्टरों पर हुई सख्ती
दरअसल, ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि, जिला प्रशासन ने छोटे-छोटे इलाकों में झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्ती कर दी है. बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे प्राइवेट क्लीनिकों को बंद कर दिया गया है. गरीब लोग झोलाछाप डॉक्टर या निजी क्लीनिक से दवाई लेकर बच्चों का इलाज करा रहे थे. अब इनके बंद होने से सारा भार मेडिकल कॉलेज पर आ पड़ा है. इस समय मेडिकल कॉलेज में 429 बच्चे भर्ती हैं. बुखार से संक्रमित बच्चों के आने का क्रम भी लगातार जारी है.
अनावश्यक भर्ती करने से कोई फायदा नहीं
फिरोजाबाद राजकीय मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉक्टर संगीता अनेजा ने बताया कि हमारे यहां इस समय बेड पर 429 बच्चे मरीज हैं. लगभग 180 पेशेंट रोज आ रहे हैं. ओपीडी के जो पेशेंट है उनको यहां भेज दिया था. अगर कोई सीरियस पेशेंट है तो यहां भर्ती कर रहे हैं. अगर नॉर्मल पेशेंट है, हल्का-फुल्का बुखार है तो उसे भर्ती की आवश्यकता नहीं है. जब बच्चों के डॉक्टर को लगता है कि भर्ती की आवश्यकता है तो जरूर करेंगे. अनावश्यक भर्ती करने से कोई फायदा नहीं है, इसीलिए मना किया है.
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