कोरोनावायरस : देश में यहां दर्ज हुआ महामारी एक्ट के तहत पहला केस
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के स्टेडियम में सरकारी नौकरियों में प्रमोशन को लेकर हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों पर पुलिस ने महामारी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है।
देहरादून, आईएएनएस। देश में महामारी एक्ट के तहत पहला केस उत्तराखंड में दर्ज किया गया है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के स्टेडियम में सरकारी नौकरियों में प्रमोशन को लेकर हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों पर पुलिस ने महामारी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। अब पुलिस से बचने के लिए ये हड़ताली कर्मचारी भागे-भागे फिर रहे हैं।
ये एफआईआर देहरादून के जिला क्रीड़ा अधिकारी राजेश ममगई की शिकायत पर दर्ज की गई है। चूंकि अचानक स्टेडियम में घुसने वाली भीड़ में सैकड़ों हड़ताली शामिल थे, इसलिए सबकी अलग-अलग पहचान तुरंत कर पाना मुनासिब नहीं था। लिहाजा एफआईआर में किसी को नामजद नहीं कराया गया है।
देहरादून की पुलिस अधीक्षक श्वेता चौबे ने बुधवार को आईएएनएस को फोन पर बताया, "थाना डालनवाला में एक एफआईआर अज्ञात भीड़ के खिलाफ दर्ज की गई है। यह एफआईआर देहरादून जिले के डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स ऑफिसर की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ है, जिसमें महामारी अधिनियम और जबरन सरकारी स्थल में घुसने की धाराएं लगाई गई हैं।"
क्या है महामारी एक्ट? दरअसल, यह कानून करीब सवा सौ साल पुराना है। इसे सन 1897 में लागू किया गया था। उस वक्त हिंदुस्तान पर ब्रिटिश हुकूमत का कब्जा था। इस कानून को बनाने के पीछे भी उन दिनों मुंबई में प्लेग (महामारी) फैलना ही प्रमुख वजह थी। उस महामारी का नाम 'ब्यूबॉनिक' था। उस दौरान महामारी एक्ट के तहत सरकारी अफसरों-कर्मचारियों को कुछ विशेष अधिकार दिए गए थे। हालांकि तब से अब तक चले आ रहे इस एक्ट (कानून या अधिनियम को) हिंदुस्तान के कानूनों में सबसे छोटे कानूनों की श्रेणी में गिना जाता है। इसमें कुल चार सेक्शन हैं।
इस कानून के पहले हिस्से में कानून के बारे में विस्तृत ब्योरा है। दूसरे हिस्से में विशेषाधिकारों को उल्लिखित किया गया है। इस कानून के तहत राज्य और केंद्रीय सरकार को विशेषाधिकार (महामारी के दौरान) खुद-ब-खुद ही मिल जाते हैं। तीसरे भाग में इस कानून की धारा 3 और 188 आईपीसी का व जुमार्ने और अर्थदंड का उल्लेख है। महामारी कानून की धारा-3 के अंतर्गत 6 महीने की कैद या एक हजार का अर्थदंड अथवा दोनों सजायें सुनाई जा सकती हैं।