लखनऊ: यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश के हर जरूरतमंद परिवार का 'अपना घर' का सपना साकार करने के लिए सतत प्रयासरत है. मुख्यमंत्री योगी, शुक्रवार को प्रधानमंत्री शहरी आवास योजनान्तर्गत राजधानी लखनऊ के अवध विहार योजना में शहरी गरीबों के लिए 'लाइट हाउस प्रोजेक्ट' के शिलान्यास कार्यक्रम में उपस्थित थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में अब तक 17 लाख 58 हजार परिवारों के 'अपना घर' का सपना साकार हुआ है, इनमें करीब 10.58 लाख आवास निमार्णाधीन हैं, जबकि शेष पूर्ण हो चुके हैं. यह क्रम सतत जारी रहेगा.


योगी ने कहा कि भविष्य की जरूरतों को देखते हुए प्रधानमंत्री द्वारा आज नवीनतम तकनीक आधारित 'लाइट हाउस प्रोजेक्ट' की आधारशिला रखी गई, यह तकनीक समय की मांग है. यह सौभाग्य है कि नवीनतम तकनीक आधारित इस परियोजना के लिए उत्तर प्रदेश का भी चयन हुआ. प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से 'सबके लिए आवास' का सपना जरूर पूरा होगा. लाइट हाउस प्रोजेक्ट के शिलान्यास कार्यक्रम के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम आवास योजना (शहरी) पुरस्कार 2019 की घोषणा की. योजना के सर्वश्रेष्ठ क्रियान्वयन के लिए उत्तर प्रदेश को पहला पुरस्कार दिया गया. यही नहीं, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर नगर पालिका को देश की सर्वश्रेष्ठ नगर पालिका का पुरस्कार भी दिया गया.


यूपी में करीब 1040 लोगों के लिए भवन बनना प्रस्तावित


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के छह राज्यों में ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज- इंडिया (जीएचटीसी- इंडिया) के तहत हल्के मकान से जुड़ी परियोजनाओं (लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स) की शुक्रवार को आधारशिला रखी. एलएचपी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश का चयन मॉडल के रूप में किया गया है. इसके तहत, राजधानी लखनऊ के अवध बिहार योजना में 01 करोड़ 31 लाख की लागत से लाइट हाउस प्रोजेक्ट (एलएचपी) का निर्माण किया जाना है. इन भवनों के निर्माण में 'स्टे इन प्लेस फॉर्म वर्क' तकनीक का प्रयोग किया गया है. यह भवन अधिक टिकाऊ, पर्यावरण अनुकूल और आपदा रोधी होंगे. योजनान्तर्गत प्रायोगिक तौर पर यूपी में करीब 1040 लोगों के लिए भवन बनना प्रस्तावित हैं. प्रत्येक आवास का कारपेट एरिया 34.5 वर्ग मीटर होगा. एक वर्ष के भीतर यह परियोजना पूरी हो जाएगी.


लखनऊ (उत्तर प्रदेश) के अलावा, एलएचपी का निर्माण इंदौर (मध्य प्रदेश), राजकोट (गुजरात), चेन्नई (तमिलनाडु), रांची (झारखंड), अगरतला (त्रिपुरा) और लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में किया जा रहा है. इसमें प्रत्येक स्थान पर संबद्ध बुनियादी ढांचा सुविधाओं के साथ लगभग 1,000 मकानों को शामिल किया गया है. ये परियोजनाएं पारंपरिक तौर पर ईंट एवं कंक्रीट वाले निर्माण के मुकाबले कहीं तेजी से यानी महज बारह महीने के पूरी हो जाएंगी.


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