बस्ती: बस्ती जिले में प्रति वर्ष घाघरा नदी के कटान में हजारों बीघा कृषि योग्य भूमि और गांव समा रहे हैं. अभी तक जिले के लगभग दर्जनों गांव घाघरा नदी के गोद में कट कर विलीन हो चुके हैं. विकास खण्ड दुबौलिया के विशुनदासपुर गांव के लगभग सैकड़ों ग्रामीणों ने क्षेत्रीय विधायक से लेकर जिलाधिकारी बस्ती व उपजिलाधिकारी हरैया से अपने लिए एक अदद आवास बनाने के लिए जमीन मुहैया कराने की मांग कर चुके हैं.
नहीं सुन रहे अधिकारी
जब बाढ़ आती है तो यही अधिकारी बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों का दौरा करते हैं और प्रतिवर्ष उन्हें सुरक्षित स्थान पर बसाने की बात करते हैं, लेकिन जब बाढ़ खत्म हो जाती है तो यही अधिकारी इन बाढ़ पीड़ित जनता की बातों को नजरअंदाज करते रहते हैं और फिर इन लोगों को अपना आशियाना खुद अपने हाथ से तोडकर सुरक्षित अस्थाई टेन्ट में रहने के लिए मजूबर होना पडता है. जिस गांव विशुनदासपुर की हम बात कर रहे हैं, वह घाघरा नदी के मुहाने पर खडा है और अगले वर्ष यह गांव नदी के गोद में समा जायेगा, जिससे यहां के सैकड़ों लोग घर रहते भी बेघर हो जाएंगे.
अबतक नहीं मिली जमीन
ऐसे में सरकार के द्वारा मिलने वाला आवास का पैसा तो इनके खाते मे आ गया, लेकिन अभी तक जिला प्रशासन के द्वारा इनको सुरक्षित स्थान पर घर बनाने के लिए जमीन मुहैया नहीं करायेगी. वह गांव के सैकडों लोगों में यह चिन्ता खाये जा रही है कि कहीं आवास का पैसा हमारे खाते से वापस न चला जाये.
फिलहाल इन गरीबों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है. बाढ़ ग्रसित क्षेत्र के लोग तहसील दिवस से लेकर जिले के आलाधिकारियों तक प्रधान संग आवास के जमीन के लिए गुहार लगा चुके है लेकिन अभी तक इन लोगों को राजस्व टीम द्वारा भूमि आवंटित नहीं हो पाई है.
जल्द उपलब्ध कराई जाएगी जमीन
वहीं, जब इस बबात में क्षेत्रीय विधायक सीए चन्द्र प्रकाश शुक्ला से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि, जमीन के लिए हमने उपजिलाधिकारी हरैया से बात कर ली है और जल्द ही इन लोगों को आवास बनाने के लिए भूमि उपलब्ध करा दी जायेगी. जब इसकी जानकारी लेने के लिए ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नन्द किशोर कलाल से बात की गयी तो उन्होंने बताया की फाइल कम्पलीट कर ली गयी है और अतिशीध्र बाढ़ ग्रसित क्षेत्र के लोगों को भूमि मुहैया करा दी जायेगी. जिससे वो समय रहते ही अपना आवासा बना सके. रही बात पैसा वापस होने की तो इसके बारे मे संबंधित अधिकारी से बात की जा रही है कि, जबतक राजस्व टीम द्वारा सर्वे का कार्य पूरा नहीं हो जाता, तब तक किसी भी लाभार्थी के आवास का पैसा वापस नहीं किया जायेगा.
अब सवाल यह उठता है कि, जब भूमि इन बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों के लोगों को आवांटित करनी ही है. तब इतनी देरी क्यों लग रही है, क्या जिम्मेदार आने वाले समय में बाढ़ का इंतजार कर रहे हैं, जिससे ये सभी बेचारे घर से बेघर हो जाये.