UP Flood News: सिद्धार्थनगर (Siddharth Nagar) जिले में बाढ़ से हालात खराब होते जा रहे हैं. राप्ती नदी (Rapti River) का जलस्तर पिछले 3 दिनों से खतरे के निशान से ऊपर है. जिले के इटवा, डुमरियागंज तहसीलों में दर्जनों गांव मैरुण्ड है और हजारों एकड़ खेत डूब चुके हैं. लोग गांव में कैद होकर रह गए हैं. लोगों के घरों में पानी घुस गया है. जिला प्रशासन (District Administration) के लोग गांव में जा रहे हैं और घूम कर वापस आ जा रहे हैं, लेकिन कोई भी सरकारी मदद अभी तक ग्रामीणों को नहीं मिल सकी है.


दूसरों के घरों में लेनी पड़ी शरण


डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के राप्ती नदी के किनारे बसे गांव के बाहर जहां तक निगाह जा रही है, बस पानी ही पानी दिख रहा है. यहां के गांव मैरुण्ड होकर टापू बन गए हैं. घरों में पानी घुसने से दर्जनों परिवारों को दूसरों के यहां शरण लेनी पड़ी है. प्रभावित ग्रामीणों को रोजमर्रा की जरूरतों के लिए नाव का ही सहारा है. ग्रामीण नाव या जान जोखिम में डालकर पानी में घुसकर आवाजाही करने को मजबूर हैं. बाढ़ से जिले में सबसे ज्यादा नुकसान धान की फसल को हुआ है. हजारों हेक्टेयर फसल बर्बाद हो चुकी है. राप्ती नदी के किनारे बसे ग्रामीणों का कहना है कि, पिछले 10 दिनों से बाढ़ के पानी से गांव पूरी तरह घिरा है. प्रशासन ने सुविधा के नाम पर नाव दिया है जो की आवाजाही के लिए पर्याप्त नहीं है. उन लोगों के घरों में पानी घुसने से बहुत दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है. प्रशासन की ओर से अभी तक उन्हें कोई मदद नहीं मिली है. जिम्मेदार अधिकारी आते हैं और दौरा कर चले जाते हैं.



एनडीआरएफ को अलर्ट किया गया


जिले में बाढ़ से उत्पन्न हालात और लोगों के मदद को लेकर जिलाधिकारी दीपक मीणा ने कहा कि, जिले में बाढ़ पर प्रशासन लगातार नजर बनाए हुए है. प्रभावित हर गांव में आबादी के हिसाब से नाव लगाई गई है. एनडीआरएफ की टीम भी प्रभावित क्षेत्रों में हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार है. हलके के लेखपाल को फसल की क्षति का आकलन करने के लिए लगाया गया है. सरकार से उन्हें पूरी सहायता दी जाएगी. राहत सामग्री को लेकर उन्होंने बताया कि राहत सामग्री भी वितरित की जा रही है.


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