गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में फिर उफनाई नदियों ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. लोगों को परिवार और बच्‍चों के साथ बंधे पर शरण लेनी पड़ी है. न राशन है, न मवेशियों के लिए चारा. ऊपर से गांव में सिर से ऊपर पानी ने सब कुछ डुबा दिया है. प्रशासन दावे तो कर रहा है. लेकिन, न तो राशन ही बंटा है और न ही जरूरी सुविधाएं ही मुहैया हो पाई हैं. यही वजह है कि इक्‍का-दुक्‍का नाव के अलावा ग्रामीण गांव में बाढ़, बंधे पर जिंदगी और ट्यूब के सहारे बाढ़ के पानी में मासूम को लेकर जिंदगी दांव पर लगाने को मजबूर हैं.


गांव में घुसा पानी
जुलाई और अगस्‍त के माहीने में बाढ़ का कहर झेलने वाले ग्रामीणों को क्‍या पता था कि सितम्‍बर माहीने के आखिरी सप्‍ताह में उन्‍हें फिर बंधे पर शरण लेनी पड़ेगी. उफनाई राप्‍ती, रोहिन, सरयू और कुआनो ने रौद्र रूप दिखाया तो गांव में सिर से ऊपर पानी भर गया. मजबूरी में ग्रामीणों को राशन पानी और मवेशियों के साथ बंधे पर शरण लेनी पड़ रही है.


नदियों का बढ़ा जलस्तर
गोरखपुर में उफनाई राप्‍ती बर्डघाट पर खतरे के निशान 74.98 से 1.04 मीटर ऊपर बह रही है. रोहिन की धार घट तो रही है, लेकिन रोहिन भी त्रिमुहानी घाट पर खतरे के निशान 82.44 से 1.69 मीटर ऊपर बह रही है. सरयू तुर्तीपार में खतरे के निशान 64.01 से 0.02 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. सरयू उतार पर है. वहीं कुआनो मुखलिसपुर में खतरे के निशान 78.65 से 1.35 मीटर नीचे बह रही है. कुआनो भी उतार पर है.


ट्यूब पर मौत का सफर
बाढ़ के हालात का जायजा लेने के लिए एबीपी गंगा की टीम सहजनवां तहसील के पिपरौली ब्‍लॉक के शेरगढ़ गांव पहुंची. शहर से लखनऊ की ओर जाने वाली सड़क पर नौसड़ से ठीक आगे बढ़ने पर उत्तर ओर बसे इस गांव में बाढ़ का पानी सिर से ऊपर हो गया है. यहां लोगों ने बंधे पर शरण ले रखी है. गांव में बाढ़ है. वहां पर रह रहे लोगों को ट्यूब पर मौत का सफर करना पड़ रहा है. 8 से 10 फीट पानी में तैर रहे ट्यूब पर मासूम बच्‍चे को लेकर जा रहे लोगों को देखकर आप भी सहम जाएंगे. प्रशासन पर्याप्‍त नाव और राशन के दावे तो कर रहा है. लेकिन, यहां न तो राशन ही मिला है और न ही नाव.



जान का खतरा
जरा सोचिए अगर ट्यूब कांटा लगने या किसी और वजह से पंचर हो जाएं तो तो जान का कितना खतरा है. लेकिन, मजबूरी ही है, जो ये ग्रामीण जान का रिस्‍क लेकर ट्यूब को गांव से बाहर निकलने का माध्‍यम बनाए हुए हैं. शेरगढ़ के रहने वाले मुरारी, भजरामा, भंडारी और पड़ोस के गांव में रहने वाले मोहम्‍मद उमर बताते हैं कि गांव में बाढ़ का पानी आ गया है. पांच-छह दिन से लोग बंधे पर शरण लिए हुए हैं. मवेशियों को भी साथ में ले आए हैं. उन्‍होंने बताया कि कोई भी प्रशासनिक मदद नहीं मिली है. कोई अधिकारी हाल तक लेने नहीं आया है. जैसे-तैसे गुजर-बसर हो रही है.


सांप-बिच्‍छू का खतरा
गोरखपुर के शेरगढ़ गांव के रहने वाले ईशमती और मूलचंद का भरा-पूरा परिवार है. गांव में बाढ़ का पानी आ जाने की वजह से बंधे पर चार-पांच दिन से शरण लिए हुए हैं. वे बताते हैं कि कोई भी प्रशासनिक मदद नहीं मिली है. किसी तरह बंधे पर गुजर-बसर हो रहा है. काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. गांव से बाहर बंधे पर मवेशियों के साथ रुके हैं. उनके साथ छोटे बच्‍चे भी हैं. बंधे पर सांप-बिच्‍छू का खतरा भी है. प्रशासन की ओर से राशन, चारे और पानी की कोई भी व्‍यवस्‍था नहीं हुई है. अधिकारी से लेकर प्रधान तक कोई भी हाल लेने नहीं आया है.


आटा और नमक खाकर कर रहे हैं गुजारा
शेरगढ़ के रहने वाले सोमल और कमलावती के साथ जीतू और सुंदरावती का भी भरा-पूरा परिवार है. मड़ई बाढ़ के पानी में डूब गई है. बाल-बच्‍चों को लेकर बंधे पर शरण लिए हुअ हैं. सोमल मजदूरी करते हैं. उसी से खाना-खर्चा चल रहा है. कोई भी प्रशासनिक अफसर देखने नहीं आया. राशन और भूसे की भी व्‍यवस्‍था नहीं है. वे कहते हैं कि जब घर बाढ़ के पानी में डूब गया तो मजबूरी में बंधे पर बच्‍चों और मवेशियों के साथ शरण लेनी पड़ी. इसके अलावा कर भी क्‍या सकते थे. वे बताते हैं कि 10-12 दिन से शरण लिए हैं. इस समय काम भी नहीं मिल रहा है. सौभाग्‍य योजना इनके गांव तो आई, लेकिन फिर भी आटा और नमक खाकर गुजारा कर रहे हैं.



राहत सामग्री पहुंचाने के दिए गए निर्देश
गोरखपुर के अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्‍व राजेश कुमार सिंह बताते हैं कि गोरखपुर में एक बार फिर नदियां उफान पर हैं. राप्‍ती, रोहिन, सरयू और कुआनो उफान पर है. बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है. 35 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. इसमें सबसे ज्‍यादा सदर तहसील के गांव हैं. एक गांव मैरुंड है. राजस्‍व विभाग को राहत सामग्री पहुंचाने के लिए निर्देशित किया है. प्रभावित गांवों में 67 नाव लगाई गई हैं. एक-दो दिन में पानी कम होने की उम्‍मीद है. वे कहते हैं कि बच्‍चों को ट्यूब के सहारे बाहर आने का खिलवाड़ न करें. इसमें जान का खतरा हो सकता है. उन्‍हें रोकने के लिए निर्देश दिए हैं. 31 हजार फूड पैकेट वितरित किए गए हैं. 6 हजार पैकेट और मंगाए गए हैं. उन्‍हें भी जहां जरूरत होगी वहां वितरित कराया जाएगा.


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