Uttarakhand Forest Fire: उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाएं रोकने के लिए वन विभाग ने बनाया प्लान, जानें क्या है तैयारी
Dehradun News: उत्तराखंड जंगलों में लगने वाली आग पर रोकथाम के लिए वन विभाग ने खाका तैयार कर लिया है. विभाग ने एक मोबाइल एप तैयार किया है, जिसके माध्यम से आग की घटनाओं की त्वरित सूचना दी जा सकेगी.
Uttarakhand News: उत्तराखंड के वनों में आग की घटनाओं पर रोकथाम के लिए वन विभाग ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं. जंगलों में लगने वाली आग से न केवल पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचता है, बल्कि वन्यजीवों और ग्रामीण जीवन पर भी इसका गहरा असर पड़ता है. इसी को ध्यान में रखते हुए वन मुख्यालय में वनाग्नि नियंत्रण को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई. जिसमें अधिकारियों ने फायर सीजन में आग पर नियंत्रण के लिए मोबाइल एप और डैशबोर्ड के उपयोग पर एक विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया.
प्रमुख वन संरक्षक (पीसीसीएफ) धनंजय मोहन ने कहा कि जंगलों की आग की रियल-टाइम जानकारी प्राप्त करने और तुरंत कार्रवाई करने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा. वन विभाग ने एक विशेष मोबाइल एप तैयार किया है, जिसके माध्यम से आग की घटनाओं की त्वरित सूचना दी जा सकेगी. इस एप से पांच हजार वन कर्मियों और पांच हजार स्वयंसेवकों को जोड़ा जाएगा, जो फायर सीजन के दौरान सक्रिय रहेंगे. इसके साथ ही आम नागरिक भी इस एप का उपयोग कर जंगलों में आग लगने की सूचना दे सकेंगे, जिससे वनाग्नि नियंत्रण के प्रयासों में तेजी लाई जा सकेगी.
मोबाइल एप से आग बुझाने में मिलेगी मदद
अपर प्रमुख वन संरक्षक (एपीसीसीएफ) निशांत वर्मा ने बताया कि इस मोबाइल एप और डैशबोर्ड की मदद से आग की घटनाओं का पूरा रिकॉर्ड रखा जाएगा. यह एप न केवल आग की घटनाओं की संख्या की जानकारी देगा, बल्कि आग बुझाने के लिए प्रतिक्रिया समय (रिस्पांस टाइम) और किए गए प्रयासों का भी आकलन करेगा. इससे वन विभाग को आग बुझाने की रणनीति को बेहतर बनाने और संसाधनों का सही ढंग से उपयोग करने में मदद मिलेगी. इस नई तकनीक को प्रदेश भर में लागू किया जाएगा, जिससे जंगलों में लगने वाली आग पर तेजी से काबू पाया जा सकेगा.
इस बैठक में यह भी चर्चा की गई कि फायर सीजन के दौरान वन कर्मियों और स्वयंसेवकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा. उन्हें यह सिखाया जाएगा कि आग लगने की स्थिति में किस प्रकार से प्रभावी ढंग से काम किया जा सकता है और आग को फैलने से कैसे रोका जा सकता है. इसके साथ ही, वन विभाग आग बुझाने के लिए आवश्यक उपकरण और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी.
ग्रामीण क्षेत्रों में चलेगा जागरूकता अभियान
वन विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाने का भी निर्णय लिया है, ताकि लोग आग की घटनाओं के प्रति सतर्क रहें और आग की छोटी से छोटी घटना की जानकारी तुरंत विभाग को दे सकें. प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन ने कहा कि जंगलों की आग न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि इसका प्रभाव स्थानीय अर्थव्यवस्था और वन्यजीवों पर भी पड़ता है. इसलिए, सभी को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा.
वन विभाग की यह पहल न केवल आधुनिक तकनीक का उपयोग कर जंगलों में आग की घटनाओं को नियंत्रित करने का प्रयास है, बल्कि इसमें स्थानीय समुदायों और नागरिकों की भागीदारी को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. यह कदम उत्तराखंड के वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है.
ये भी पढ़ें: Uttarakhand Dengue: उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रहे डेंगू के मामले, पौड़ी जिले में मिले 59 मरीज